Rajasthan Panchayat Result: कांग्रेस ने लगाई भाजपा के गढ़ में सेंध, जानिए क्या असर डालेंगे परिणाम

राजस्थान जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली है.

Update: 2021-09-05 06:07 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजस्थान जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने कुछ जगह तो भाजपा के गढ़ में भी सेंध लगाई है, जो सीटें परंपरागत रूप से भाजपा जीतती आई है, वह इस चुनाव में कांग्रेस की झोली में आई हैं. भाजपा से जिला परिषद के जयपुर और जोधपुर जैसे दो सबसे बड़े बोर्ड छीन लिए हैं. कुल छह में से चार जिला परिषदों में कांग्रेस बोर्ड बनाने की स्थिति में है. सिर्फ एक सिरोही जिला परिषद में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है. प्रदेश में छह जिलों में जिला परिषद और 78 पंचायत समितियों के चुनाव के नतीजे बताते हैं कि दोनों ही जगह कांग्रेस फायदे में रही है.

भरतपुर जिले में आया सबसे रोचक परिणाम
जहां तक पंचायत समितियों का सवाल है तो 78 पंचायत समितियों में से 26 में कांग्रेस और 14 में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है. यदि यही मंथन वार्ड स्तर पर करें तो 1564 वार्डों में से 670 में कांग्रेस, 551 में भाजपा, 290 में निर्दलीय और 40 में आरएलपी ने जीत का वरण किया है. प्रदेश की 38 पंचायतों में निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका अहम होगी. सबसे रोचक परिणाम भरतपुर जिले का रहा. यहां भाजपा-कांग्रेस या अन्य दलों में से किसी को बहुमत नहीं मिला है. सभी पंचायतों में निर्दलीय भारी हैं. इसी तरह भरतपुर जिला परिषद में किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है.
गहलोत के दो मंत्री खरे, तीन कमजोर; एक औसत
इन चुनाव परिणामों के मद्देनजर यदि गहलोत सरकार के मंत्रियों का आंकलन करें तो खुद सीएम अशोक गहलोत और दो मंत्री लालचंद कटारिया और परसादी लाल मीणा ही खरे साबित हुए हैं. तीन मंत्री-भजन लाल जाटव, राजेंद्र यादव और सुभाष गर्ग के विधानसभा क्षेत्र में प्रदर्शन कमजोर रहा है, जबकि मंत्री ममता भूपेश का प्रदर्शन औसत ही है.
मंत्रिमंडल विस्तार में भूमिका निभाएं चुनाव परिणाम
गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार से पहले आए यह चुनाव परिणाम अंदरूनी राजनीति पर जरूर असर डाल सकते हैं. कमजोर प्रदर्शन करने वाले तीन मंत्रियों में से दो के नाम पहले ही इसलिए सुर्खियों में है कि उनकी मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है. ममता भूपेश की जगह भी दूसरे महिला विधायक को मंत्री बनाने की चर्चा थी. जहां तक सचिन पायलट की बात है तो दौसा में जीत से उन्हें फायदा होगा.
वसुंधरा खेमा उठाएगा सवाल, भाजपा में और बढ़ेगी रार
इन चुनाव परिणामों से भाजपा की अंदरूनी रार में दरार कुछ और बढ़ सकती है. वसुंधरा खेमा निश्चित रूप से इस हार के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां की चुनावी रणनीतियों और नेतृत्व कुलशता पर सवाल उठाएंगे. खासकर भाजपा के परंपरागत गढ़ उससे छिन जाने को पार्टी स्तर पर भी गंभीरता से लिया जा सकता है. चुनाव परिणामों के बाद भी असल राजनीति अभी बाकी है, जिन पंचायत-परिषद में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है, उनमें निर्दलीय को अपनी ओर मिलाकर अपना बोर्ड बनाने की कवायद अब जोर मारेगी. बाड़ाबंदी और तेज होगी. देखते हैं राजनीति की जादुगरी कितने निर्दलियों को रिझा पाती है ?


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