पुलिस ने भीख मांगने वाले रैकेट का किया खुलासा, कमाई जानकर दंग रह जाएंगे

प्रतिदिन 4,000 रुपये से 7,000 रुपये तक कमा लेते हैं।

Update: 2023-08-20 13:13 GMT
हैदराबाद: हैदराबाद में पुलिस ने भीख मांगने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है। साथ ही 23 भिखारियों को इस दलदल से बाहर निकाला है। पूछताछ से पता चला कि शहर में ट्रैफिक जंक्शनों पर भीख मांगने वाले कुछ परिवार हर महीने 1.5 लाख से 2 लाख रुपये के बीच कमा रहे हैं। पुलिस ने भीख मांगने वाले कुछ परिवारों से बात की, जिन्हें 'भिखारी माफिया' पर हालिया कार्रवाई के दौरान हिरासत में लिया गया। ये 'परिवार' हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के त्रि-कमिश्नरेट में ट्रैफिक जंक्शनों पर पूरा नियंत्रण रखते हैं और भीख मांगते हैं।
हैदराबाद कमिश्नर टास्क फोर्स के अधिकारी ने बताया, 'पति, पत्नी, 4-5 बच्चों और बुजुर्गों सहित पूरा परिवार एक जंक्शन पर कब्जा कर लेता है। ये लोग यहां दूसरों को भीख मांगने नहीं देते। औसतन वे प्रतिदिन 4,000 रुपये से 7,000 रुपये तक कमा लेते हैं।' उन्होंने बताया कि इनके कामकाज के क्षेत्र आपस में बंटे हुए हैं। जब भी विवाद होता है तो बुजुर्ग दखल देते हैं। इन समूहों के बीच अलग-अलग टाइमिंग स्लॉट या ट्रैफिक सिग्नल पॉइंट तय करके समाधान निकाला जाता है।
अधिकारी ने बताया कि भीख मांगने वाले परिवार के साथ सुबह करीब 10 बजे ऑटो रिक्शा में आते हैं। ये पूरे दिन जंक्शन पर रहते हैं। शाम को वे ऑटो रिक्शा से ही अपने घर को लौटते हैं। पुलिस ने पाया कि इनमें से कुछ परिवार तो पैसे उधार देने का कारोबार भी कर रहे हैं। घर लौटते समय ये लोग बिरयानी पार्सल कराते हैं और पीने के लिए शराब भी लेकर जाते हैं। इस काम में कमाई देखकर कुछ बेईमानों ने संगठित माफिया के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। ये लोग शारीरिक रूप से दिव्यांगों, बच्चों, बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं को एक तरह से काम देने लगे। दिन भर भीख मांगने के बाद 'माफिया परिवार' इनमें से हर एक को 200 रुपये का भुगतान करते हैं।
पुलिस ने भिखारियों के सरगना कर्नाटक में गुलबर्गा के फतेहनगर निवासी अनिल पवार को पकड़ लिया है। प्रेस रिलीज में कहा गया कि इस मामले के आरोपी कर्नाटक के गुलबर्गा के रहने वाले रामू, रघु, धर्मेंद्र सहित कई अन्य व्यक्ति अभी भी फरार हैं। जांच करने पर पता चला कि अनिल पवार और अन्य फरार लोगों का ताड़बुन से हाईटेक सिटी के लिए फैले विभिन्न यातायात चौराहों पर नेटवर्क फैला था। ये लोग भीख इकट्ठा करने के लिए अपने समुदाय के कमजोर लोगों जैसे कि गरीब महिलाओं, नाबालिग बच्चों, विधवाओं और शारीरिक रूप से विकलांगों का शोषण कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि अनिल पवार शहर के विभिन्न चौराहों पर बच्चों को नशीले पदार्थ मुहैया कराता था। इसके बाद ये बच्चे राहगीरों से सहानुभूति पाकर उनसे भीख मांगते थे। अभियान के दौरान भिखारियों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाने के लिए इस्तेमाल किए गए 8 दोपहिया वाहनों को जब्त किया गया। इन भिखारियों को दैनिक मजदूरी के रूप में मात्र 200 रुपये का भुगतान किया जाता था। यह कैंपेन आयुक्त कार्यालय के तहत वेस्ट जोन टास्क फोर्स टीम, हैदराबाद की मानव तस्करी विरोधी इकाई (AHTU), जुबली हिल्स पुलिस, स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और 'स्माइल प्रोजेक्ट' के नेताओं के सहयोग से चलाया गया।
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