एक बार फिर गरमाया 'कामन सिविल कोड' का मुद्दा, 22वें विधि आयोग द्वारा विचार करने की जताई संभावना

समान नागरिक संहिता (कामन सिविल कोड) का मुद्दा एक बार फिर गर्म है। कानून मंत्री ने इस मुद्दे पर 22वें विधि आयोग द्वारा विचार करने की संभावना जताई है।

Update: 2022-02-04 18:17 GMT

नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (कामन सिविल कोड) का मुद्दा एक बार फिर गर्म है। कानून मंत्री ने इस मुद्दे पर 22वें विधि आयोग द्वारा विचार करने की संभावना जताई है। लेकिन विडंबना यह है कि 22वें विधि आयोग का गठन तो हो गया है, लेकिन दो साल से उसमें नियुक्ति ही नहीं हुई है। 31 अगस्त, 2018 को 21वें विधि आयोग का कार्यकाल पूरा होने के बाद से विधि आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का पद खाली पड़ा है। बहरहाल, अगर कोर्ट ही लंबित याचिकाओं पर फैसला सुना दे तो अलग से किसी समान नागरिक संहिता की जरूरत ही नहीं होगी।

हर धर्म में शादी का एक नियम बनाने का फैसला तो केंद्रीय कैबिनेट ने कर लिया है। लेकिन उत्तराधिकार, तलाक की प्रक्रिया, गुजारा भत्ता, गोद लेने के नियम सभी धर्मों और लोगों के लिए समान करने की मांग इन याचिकाओं में है। सुप्रीम कोर्ट शादी, उत्तराधिकार, गुजारा भत्ता, तलाक और गोद लेने से जुड़े कानूनों को सभी के लिए समान करने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका है। इतना ही नहीं, कोर्ट सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का भी आदेश दे चुका है। जवाब अभी नहीं आए हैं। इसके अलावा समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित हैं। इन पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
केंद्र ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह में हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया था। इसमें पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करने वाले संविधान के अनुच्छेद 44 का जिक्र करते हुए कहा था कि यह महत्वपूर्ण मामला है। इसमें विभिन्न पर्सनल ला का गहनता से अध्ययन करने की जरूरत है। इसीलिए सरकार ने 21वें विधि आयोग को यह मामला अध्ययन कर रिपोर्ट देने के लिए भेजा था। सरकार ने यह भी कहा कि 21वें विधि आयोग ने विभिन्न पक्षों की ओर से आए ज्ञापनों पर विचार करने और विस्तृत शोध के बाद फैमिली ला में सुधार के बारे में आगे विस्तृत चर्चा के लिए 31 अगस्त, 2018 को अपने परामर्श पत्र आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए थे।
समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली याचिकाएं दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर पिटीशन दाखिल कर हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई करने की मांग की है। हालांकि ये याचिकाएं अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर नहीं आई हैं। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट से मामले पर पहले फैसला आता है या सरकार विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्त करके इस मामले पर जल्द रिपोर्ट देने को कहती है।
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