रोबोट से निकलवाया लिवर, आंत कटने से महिला डोनर की हुई मौत
जानें पूरा मामला
लखनऊ: पति की जान बचाने के लिए महिला ने लिवर डोनेट किया। रोबोट से लिवर निकालते समय आंत कट गई। आरोप है कि डॉक्टरों ने हालत बिगड़ने के बाद परिजन को इसकी जानकारी दी। आंत ठीक करने के लिए चार ऑपरेशन किए, जिसके एवज में 40 लाख रुपये लिए गए। इसके बावजूद महिला की मौत हो गई। ससुर ने जिलाधिकारी, सीएमओ, पुलिस के अलावा उप्र. मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष से भी शिकायत की लेकिन दो महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
रायबरेली रोड स्थित वृंदावन योजना निवासी विनोद कुमार सिंह ने शिकायत में बताया कि बेटे अभिजीत सिंह (37) को लिवर की समस्या थी। उसे 5 सितंबर 2024 को शहीद पथ स्थित कारपोरेट हॉस्पिटल में दिखाया। लिवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ चिकित्सकों ने रोबोटिक सर्जरी से ट्रासप्लांट कराने की सलाह दी। इसके लिए अतिरिक्त 3.50 लाख रुपये लगने की जानकारी दी थी। पुत्रवधू (बहू) शांभवी सिंह लिवर डोनेट करने को तैयार हो गई। अभिजीत को 2 और शांभवी को 3 अक्टूबर को भर्ती कराया गया। 4 अक्टूबर को तीन प्रमुख डॉक्टरों और उनकी टीम ने रोबोटिक सर्जरी कर शांभवी का लिवर लिया।
विनोद का आरोप है कि सर्जरी के दूसरे दिन से बहू की तबीयत सुस्त रहने लगी। गैस और मिचली की शिकायत के साथ पेट में रिसाव बढ़ने लगा। शिकायत पर डॉक्टरों ने कहा कि यह सामान्य रूप से होता है। तीन-चार दिन में सब ठीक हो जाएगा। 11 अक्टूबर को डॉक्टरों ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी के दौरान आंतें कट गईं हैं। इससे पेट में गंदगी इकट्ठा हो रही और संक्रमण फैल रहा है। उसी रात आंत ठीक करने के लिए ऑपरेशन किया, लेकिन रिसाव नहीं बंद हुआ। इसके बाद 15, 20 और 24 अक्टूबर को फिर उन्हीं डॉक्टरों ने सर्जरी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। शरीर में संक्रमण फैलने से 7 नवंबर की दोपहर शांभवी की मौत हो गई। ऑपरेशन (डोनर व रिसिपिएंट) में 23.15 लाख रुपये समेत करीब 40 लाख रुपये खर्च हो गए। इसी बीच कारपोरेट अस्पताल के स्टाफ ने शांभवी के पिता डीपी सिंह, भाई वैभव सिंह व गौरव सिंह से कई कागजों पर हस्ताक्षर भी करवा लिए। शांभवी का दो साल का बेटा है।
शांभवी की तेरहवीं के बाद परिजन सुलतानपुर से लखनऊ लौटे। 29 नवंबर को विनोद सिंह ने जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त दक्षिणी, सीएमओ, उप्र. मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष आदि से लिखित शिकायत की। शिकायत के दो माह बाद भी मामले में जांच कमेटी तक नहीं बनाई गई है। परिजन न्याय के लिए भटक रहे हैं। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह का कहना है कि इस मामले की जांच सुपरस्पेशियलिटी संस्थानों से ही कराई जा सकती है। जांच के लिए पत्राचार आगे अग्रसारित कर दिया गया है।