Karoli 2 साल में 1943 जंगली जानवर घटे

Update: 2024-06-02 11:20 GMT
Karoli: करौली। करौली जिले में चिंकारा, भालू, कवर बिज्जू, सियागोश, बिल्ली के कुनबे का कोई सदस्य नजर नहीं आया। ऐसे में इन वन्य जीवों के अस्तित्व survival of wild animals पर संकट बना हुआ है। करौली जिले में वैशाख पूर्णिमा पर वाटर होल पद्धति से वनकर्मियों और वालंटियर की मदद से की गई वन्य जीव गणना का परिणाम आ गया है। इसमें करौली जिले में चिंकारा, भालू, कवर बिज्जू, सियागोश, बिल्ली के कुनबे का कोई सदस्य नजर नहीं आया। ऐसे में इन वन्य जीवों के अस्तित्व पर संकट बना हुआ है। इसके अलावा राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित हिरण और सियार की संख्या घट रही है। इतना ही नहीं जिले के जंगल में बहुतायत वाले काफी संख्या में रहे सियार और जरख की भी कमी देखी गई है। पिछले साल खराब मौसम के चलते वन्य जीव गणना नहीं हो पाई थी। दो साल पहले हुई गणना में बघेरे की संख्या एक से बढ़कर अब 6 और भेड़ियों की संख्या भी 9 से बढ़कर अब 30 हो गई है। इस बार गिद्ध इंडियन लोग बिल्ड 57 देखे गए। जो पिछली गणना में नजर नहीं आए थे। वन्य जीव गणना मांसाहारी, शाकाहारी और रेप्टाइल्स इन तीन वर्गों में 23 मई की सुबह 8 से 24 मई को सुबह 8 बजे तक 24 घंटे के दौरान 80 कार्मिकों द्वारा की गई।

इससे पूर्व गणनकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया गया। साल 2022-23 में हुई गणना में करौली जिले में कुल 4340 वन्य जीव वाटर होलों पर देखे गए। इसमें 1951 नर, 1459 मादा 381 बच्चे और 626 वन्य जीव अवर्गीकृत थे। इनमें बघेरा 1, सियार 1025, जरख 119, जंगली बिल्ली 10, बिल्ली 50, लोमड़ी 64, भेड़ियां 9, भालू 11, कवर बिज्जू 4, सियागोश 5, जंगली सूअर 287, सेही 28, काला हिरण 87, नीलगाय 913, चिंकारा 19, गिद्ध इंडियन लोग बिल्ड शून्य और राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या 1757 थी। वन्य जीव गणना के आंकड़ों के अनुसार पिछले दो साल में वन्य जीवों की संख्या में काफी गिरावट देखने को मिली है। वन्य जीवों की कुल संख्या में ही 1943 वन्य जीव कम हुए हैं। सत्र 2022-23 में जिले में हिरणों की संख्या 87 थी, जो इस बार घटकर 8 रह गई है। सत्र 2022-23 में जिले में 1025 सियार थे। जो अब घटकर 526 रह गए हैं। इसी प्रकार लोमड़ी की संख्या 64 के स्थान पर 34 पर आ पहुंची है। जरख भी 119 से घटकर 81 रह गए हैं। डीएफओ करौली सुमित बंसल ने बताया कि कई बार वन्य जीव आसपास पानी वाले अन्य स्थानों पर मूवमेंट करते हैं। गांवों के टांके आदि स्थानों पर रात में पानी पीकर चले जाते हैं। कई कारणों से 24 घंटे में सटीक गणना कर पाना मुश्किल है। नर और मादा की स्पष्टतया पहचान नहीं होने पर वन्य जीवों को अज्ञात श्रेणी में शामिल किया जाता है।
Tags:    

Similar News

-->