सरकार और किसानों के बीच बढ़ रहा गतिरोध, आज सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला

कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार में गतिरोध जारी है.

Update: 2020-12-16 02:16 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार में गतिरोध जारी है. किसान जहां अपनी मांगों पर अड़े हैं तो वहीं सरकार भी साफ कर चुकी है कि कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा. दिल्ली बॉर्डर पर 20 दिनों से डेरा डाले किसानों और सरकार की इस जंग में बुधवार का दिन अहम हो सकता है, क्योंकि बॉर्डर पर किसान टिकेंगे या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा, इसपर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.


दरअसल, कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. कोर्ट बुधवार को मामले की सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं.

याचिका में दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग की गई है. कहा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा. याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं. इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है.

यह याचिका कानून की पढ़ाई कर रहे ऋषभ शर्मा ने दायर की है. अर्जी में आगे कहा गया कि प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा आवंटित तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए. प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

किसानों से जुड़ी एक और याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को किसानों की मांग पर विचार करने का निर्देश दे. याचिका में NHRC से किसानों पर हमले के संबंध में मानव अधिकार उल्लंघन से जुड़ी जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

बता दें कि दिल्ली बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ 20 दिन से किसानों का आंदोलन जारी है. कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसान अड़े हैं तो सरकार संशोधन का प्रस्ताव दे रही है. किसान लगातार सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा रहे हैं. साथ ही वो अपने आंदोलन को भी गति दे रहे हैं. किसानों ने बुधवार को दिल्ली नोएडा को जोड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर को ब्लॉक करने का ऐलान किया है.

किसान संगठनों ने कहा कि सरकार बाहर से आने वाले लोगों को घुसने नहीं दे रही है. किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए आना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें रोक रही है. ये सरकार किसानों की बात नहीं करती है, बस घुमाती है. किसानों ने कहा कि ये सरकार अंबानी और अडानी की सरकार है. हम इसको अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे.

कच्छ से प्रधानमंत्री का किसानों को संदेश

उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात के दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने कच्छ की धरती से विपक्ष पर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा कि दिल्ली के आसपास आजकल किसानों को डराने की साजिश चल रही है. क्या अगर कोई आपसे दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है, तो क्या भैंस लेकर चला जाता है? जैसी आजादी पशुपालकों को मिल रही है, वैसी ही आजादी हम किसानों को दे रहे हैं.

पीएम ने कहा कि कई वर्ष से किसान संगठन इसकी मांग करते थे, विपक्ष आज किसानों को गुमराह कर रहा है लेकिन अपनी सरकार के वक्त ऐसी ही बातें करता था.


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