पेंशन घोटाला में हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी, कहा- 10 साल में साढ़े 4 करोड़ ही वसूले

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Update: 2023-06-02 15:21 GMT
हरियाणा। हरियाणा के पेंशन घोटाले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। हाईकोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की पीठ ने कहा है कि 10 साल से अधिक समय बीत चुका है। इसके बावजूद अधिकारियों ने कुल 15 करोड़ रुपए के बकाया के मुकाबले केवल 4.58 करोड़ रुपए की वसूली की है। इस मामले में विभाग के प्रधान सचिव कोई कारण बताने में विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा है कि जिन लोगों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता के मामलों को देखने की जरूरत थी उन्होंने इस मामले से पल्ला झाड़ रखा है। हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले घोटाले की जांच CBI को सौंप दी थी। HC ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस तरह की देरी तब तक संभव नहीं हो सकती थी
जब तक कि विभाग के अधिकारी या तो अक्षम थे या फील्ड स्टाफ के साथ-साथ लाभार्थियों के साथ मिलीभगत कर रहे थे। इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि 2011 में काफी पहले निर्धारित और चिह्नित किए जाने के बावजूद अवैध लाभार्थियों से सार्वजनिक पैसे की वसूली क्यों नहीं की गई है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का यह आदेश 2017 से लंबित एक याचिका में पारित किया गया है। जिसमें आरोपों की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा गया था कि हरियाणा में एक बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ था, जिसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा स्थानीय निकायों की मिलीभगत से मृत व्यक्तियों के नाम पर सामाजिक कल्याण पेंशन वितरित की गई थी।
हाईकोर्ट ने हरियाणा में 13 साल पहले हुए पेंशन घोटाले की जांच CBI से कराने के निर्देश दिए हैं। राज्य के इस पेंशन घोटाले का खुलासा 2011 में CAG की रिपोर्ट में हो चुका है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि यह करोड़ों रुपए का घोटाला है। उस समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा थे। इस घोटाले में कई ऐसे जनप्रतिनिधि भी शामिल थे जो अंडर ऐज होने के बाद भी वृद्धावस्था पेंशन ले रहे थे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सीबीआई को जांच के लिए दो महीने का समय दिया है। हरियाणा में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाए हैं कि इस पेंशन का लाभ राज्य में 40 और 50 साल के उम्र के लोग भी ले रहे थे।
इसके अलावा वह लोग भी पेंशन का लाभ ले रहे थे जो इसके हकदार ही नहीं थे। सरकार ऐसे लोगों को पहले से ही दूसरे मद में पेंशन दे रही थी। यह भी बताया जा रहा है कि इस मद में कई पूर्व सरपंच और पंच भी शामिल हैं। हरियाणा में यह घोटाला 2011 के दौरान हुआ है। उस समय कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की सरकार थी। यदि इस मामले में सीबीआई जांच के दौरान घोटाले की बात सामने आती है तो पूर्व सीएम की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है।
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