HP: मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का करना पड़ रहा रुख

Update: 2024-10-18 10:20 GMT
TMC. टीएमसी। डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में नेत्र विभाग में मशीनों की भारी कमी चल रही है। इसकी वजह से दूरदराज से आए मरीजों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। टांडा अस्पताल के नेत्र विभाग के डाक्टर फिर भी बिना उपकरणों के मरीजों के उपचार में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं परंतु बिना उपकरणों के पूरा इलाज संभव नहीं है अभी हाल ही मंगलवार को प्रदेश के
मुख्यमंत्री
सुखविंदर सिंह सुक्खू की माता संसार देई टांडा अस्पताल में नेत्र के इलाज के लिए पहुंची थी लेकिन टांडा अस्पताल के डाक्टरों ने अपनी तरफ से नेत्र के इलाज की पूरी कोशिश की लेकिन उपकरणों के अभाव के कारण मुख्यमंत्री की माता संसार देई के नेत्र के पर्दे को मशीन के अभाव में पूरा इलाज नहीं हो सका था और माता संसार देई को घुरकड़ी स्तिथ संदीप महाजन नेत्र अस्पताल में जाकर इलाज करवाया।


जब मुख्यमंत्री की माता को ही पूरा इलाज मशीनों के अभाव के कारण नहीं मिल सका तो साधारण मरीज क्या उम्मीद कर सकते हैं। विदित है कि प्रदेश के छह जिलों चंबा, मंडी, ऊना हमीरपुर, कुल्लू और 15 लाख की सबसे ज्यादा आबादी वाले जिला कांगड़ा के मरीज उपचार के लिए यहां पहुंचते हैं। दूरदराज से आने वाले मरीजों को यहां इलाज के पहुंचने पर मशीनों के अभाव में दूसरे अस्पतालों का रूख करना पड़े तो प्रदेश के दूसरे बड़े
अस्पताल
में आने का क्या औचित्य रह जाता है। बिना मशीनों के ऐसा प्रतीत होता है जैसे आर्मी के फौजी को बॉर्डर पर लड़ाई के लिए बिना हथियार के भेज दिया गया हो। टांडा अस्पताल में प्रदेश के आधे हिमाचल की करीब 30 लाख से ज्यादा की आबादी उपचार के लिए यहां पहुंचती है तो फिर यहां उपकरणों की कमी को पूरा किया जाना चाहिए। हिमाचल प्रदेश में नए अस्पतालों की संख्या बढ़ाने से ज्यादा जो अस्पताल है उनमें पूरी सुविधा होनी चाहिए ताकि जो मरीज अस्पताल आए उसका पूरा इलाज एक जगह एक अस्पताल में होना चाहिए।
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