Hospice. धर्मशाला। प्रदेश की बड़ी एवं महत्त्वाकांक्षी परियोजना कांगड़ा एयरपार्ट के लिए सरकार द्वारा भेजी गई धनराशि के साथ खेल हो गया। प्रदेश सरकार ने प्रभावितों के लिए पहले 34 करोड़ और फिर 126 करोड़ रुपए की धनराशि केसीसी बैंक को जारी की, लेकिन दो दिनों के बाद ही इस धनराशि को एक निजी बैंक में जमा करवाने का आदेश आ गया, जिसे सुनकर सभी हैरत में पड़ गए और धनराशि निजी बैंक के खाते में चली गई। आर्थिक विश्लेषक बताते हैं कि सरकार के अपने कांगड़ा बैंक यह धनराशि मात्र एक माह भी रहती, तो बैंक को सीधे एक करोड़ का लाभ होना था। यदि एक साल रहती, तो 12 करोड़ तक का लाभ हो सकता था, लेकिन यहां कुछ और ही खेल हो गया। पर्यटन विभाग द्वारा इस धनराशि को एक निजी बैंक खाते में ट्रांसफर करने से प्रशासनिक व सियासी गलियारों में खूब चर्चा है।
आखिर सरकार के अपने बैंक से निकलवाकर निजी बैंक में ये पैसे क्यों डाल दिए। लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इस ग्रांट को निजी बैंक खाते में डालने की नौबत क्यों आ गई है। यह सब किसके इशारे पर हो रहा है। इस सारे प्रकरण की हलचल सियासी गलियारों में होने लगी है। हालांकि यह सरकार और संबंधित विभाग का अधिकार है कि वह पैसा किसी भी बैंक खाते में डिपॉजिट करवाए, लेकिन जानकारों का कहना है कि हैरानी इस बात की है कि सरकारी बैंक से पैसा निकाल कर निजी बैंक में रखना कहां तक उचित है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह पैसा जब किसी निजी बैंक में जमा होगा, तो जब तक उसका उपयोग नहीं कर लिया जाता, उससे मिलने वाला ब्याज संबंधित बैंक को ही मिलेगा। अब यह सारा तानाबाना कैसे और क्यों बुना गया और किसके इशारे पर हुआ है, यह चर्चा का विषय बना हुआ है।