Himachal में प्री नर्सरी से बारहवीं तक अब एक निदेशक

Update: 2025-01-18 10:42 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल में प्री नर्सरी से लेकर 12वीं कक्षा तक अब एक ही शिक्षा निदेशालय होगा। इसे डायरेक्टर ऑफ स्कूल्स कहा जाएगा। कालेज और यूनिवर्सिटी के लिए हायर एजुकेशन डायरेक्टरेट अलग से बनाया जाएगा। राज्य सरकार की ओर से सुझाए गए इस प्रस्ताव के अनुसार शिक्षा विभाग ने कैबिनेट नोट बना लिया है और इस पर वित्त और कार्मिक विभाग से राय मांगी है। इस नए स्ट्रक्चर में स्कूल एजुकेशन के निदेशक का पद आईएएस अधिकारी को दिया जा रहा है, जबकि तीन एचएएस अधिकारी उनके साथ इस निदेशालय में दिए जा सकते हैं। वर्तमान में एलिमेंट्री एजुकेशन के निदेशक एचएएस अधिकारी हैं, जबकि यह निदेशालय प्री नर्सरी से आठवीं तक की कक्षाओं को देखता है। हायर एजुकेशन निदेशालय के पास नवमी से लेकर कालेज तक की कक्षाएं हैं। इस फार्मेट में पूरी तरह बदलाव हो जाएगा। हायर एजुकेशन निदेशक सिर्फ कालेज एजुकेशन देखेंगे और यूनिवर्सिटी के साथ समन्वय को भी मॉनिटर करेंगे। इसका मुख्य लक्ष्य हायर एजुकेशन एनरोलमेंट बढ़ाना और रिसर्च की तरफ ध्यान देना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों में भी हायर एजुकेशन में ही हिमाचल को अभी बहुत से बदलाव करने
बाकी हैं।


राज्य सरकार कैबिनेट की अगली बैठक में इस बारे में निर्णय ले सकती है। वित्त और कार्मिक विभाग से इसलिए भी राय जरूरी है, क्योंकि इस स्ट्रक्चर के कारण आईएएस कैडर में एक और पोस्ट जोडऩी पड़ेगी। अपने गृह जिला हमीरपुर के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी इस सबसे बड़े व्यवस्था परिवर्तन को लेकर घोषणा की थी। दरअसल, राज्य सरकार प्री नर्सरी से 12वीं कक्षा तक सिर्फ एक ही निदेशालय बेहतर प्रशासनिक नियंत्रण, संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल और कॉमन कैंपस के लिए चाहती है। इससे पहले शिक्षा क्षेत्र में बदलाव करने के लिए क्लस्टर सिस्टम सरकार ने लाया था। फिर संसाधन शेयर करने के लिए भी नए सिरे से निर्देश हुए थे, लेकिन सरकार का अनुभव अब तक का कुछ अलग रहा है। प्राइमरी के टीचर सेकेंडरी के प्रिंसीपल को रिपोर्ट करने को तैयार नहीं हैं। प्रदेश के कई क्षेत्रों में एक ही कैंपस में स्कूल होने के बावजूद संसाधन शेयर नहीं हो रहे। कम एनरोलमेंट वाले स्कूलों के मर्जर को लेकर भी नियंत्रण को एक ही जगह रखना जरूरी है। भारत सरकार ने भी हिमाचल के कंसोलिडेशन के कन्सेप्ट को स्वीकार किया है। इसी कारण बेहतर रिजल्ट लेने के लिए निदेशालय की व्यवस्था बदली जा रही है।
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