Himachal: दूध और पर्यावरण सेस से आएंगे 50-60 करोड़ रुपए

Update: 2024-11-21 10:10 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश में बिजली के बिल पर लगाए गए मिल्क सेस व पर्यावरण सेस से सरकार को करीब 50 से 60 करोड़ रुपए सालाना अतिरिक्त धनराशि मिलेगी, क्योंकि अभी सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं पर इसे नहीं लगाया है, इसलिए उतना ज्यादा पैसा नहीं मिलेगा, परंतु जब 125 यूनिट फ्री बिजली एक ही मीटर पर उपभोक्ता को मिलेगी, तो फिर वे लोग भी इसे दायरे में आ जाएंगे, जो अभी तक 125 यूनिट फ्री बिजली का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल की चार्जिंग सबसे अधिक बढ़ेगी, जिसमें छह रुपए
पर्यावरण
शुल्क लगेगा। हिमाचल सरकार ने विधानसभा के मॉनसून सत्र में विद्युत शुल्क संशोधन विधेयक को पारित किया था, जिसे राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचित कर दिया गया है। अधिसूचना जारी होने के साथ इसे लागू कर दिया गया है और उपभोक्ताओं को अगले महीने के बिजली बिल में मिल्क सेस व पर्यावरण उपकर लगकर आएगा। मिल्क सेस के रूप में सरकार ने प्रति यूनिट 10 पैसे लगाने के आदेश जारी किए हैं। प्रति यूनिट 10 पैसे उपभोक्ताओं का बिल बढ़ेगा। इसे दुग्ध उपकर कहा जाएगा। इसमें साफ किया गया है कि जिन उपभोक्ताओं का शून्य बिल आता है, यानि 125 यूनिट फ्री बिजली ही इस्तेमाल करते हैं, उन पर यह उपकर नहीं लगाया जाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार 50 फीसदी से ज्यादा इसमें बढ़ोतरी भी नहीं कर पाएगी।

इस राशि का उपयोग सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने और दुग्ध उत्पादकों के उत्थान के लिए खर्च करेगी। यह राशि बिजली बोर्ड के पास नहीं रहेगी, बल्कि वह जुटाकर सरकार को देगा। पर्यावरण उपकर की बात करें, तो लघु उद्योगों को 0.02 पैसे प्रति यूनिट, मध्यम उद्योगों को 0.04 पैसे प्रति यूनिट, बड़े उद्योगों को 0.10 पैसे प्रति यूनिट, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को 0.10 पैसे प्रति यूनिट, अस्थायी कनेक्शन पर दो रुपए प्रति यूनिट, स्टोन क्रशरों से दो रुपए प्रति यूनिट की राशि वसूल की जाएगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल का टैरिफ जरूर बढ़ जाएगा, क्योंकि उसमें छह रुपए प्रति यूनिट तक अतिरिक्त रूप से राशि वसूल की जाएगी। इस एक्ट में कहा गया है कि सरकार तय करेगी कि किस श्रेणी को इसमें वह शामिल रखना चाहती है या फिर बाहर करना चाहती है व
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दरों को कैसे निर्धारित करना है। अधिसूचना के बाद सीधे रूप से सरकार इस पर निर्णय ले सकेगी। इसके लिए विधानसभा में विधेयक के संशोधन की जरूरत नहीं होगी। एक समय में सरकार 50 फीसदी से ज्यादा राशि नहीं बढ़ा सकती है। पर्यावरण उपकर की राशि का उपयोग सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिए ही करना होगा। यहां बता दें कि बड़े उद्योगों पर सरकार ने सबसिडी भी एक रुपया कम कर दी है। हालांकि मामला अभी अदालत में चल रहा है, मगर उद्योग क्षेत्र इस तरह से बिजली के दामों में किसी भी सूरत में वृद्धि से नाराज हैं। इसे लेकर अभी सरकार के सामने विरोध भी हो सकता है। वैसे अगले बिल में यह पर्यावरण उपकर भी उद्योगों को जोडक़र दिया जाएगा।
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