गुजरात HC: COVID-19 महामारी के संदर्भ में अवसाद को गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जा सकता है
गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने कहा है कि खासकर कोविड-19 (Covid-19) महामारी के संदर्भ में अवसाद को गंभीर बीमारी की श्रेणी रखा जा सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने कहा है कि खासकर कोविड-19 (Covid-19) महामारी के संदर्भ में अवसाद को गंभीर बीमारी की श्रेणी रखा जा सकता है. इस कथन के साथ हाई कोर्ट ने अवसाद एवं आत्महत्या के ख्याल के चलते जरूरी परीक्षाओं में शामिल नहीं होने पर एक सरकारी महाविद्यालय द्वारा अभियांत्रिकी के एक विद्यार्थी का पंजीकरण एवं प्रवेश रद्द किये जाने को दरकिनार कर दिया.
अदालत ने 31 अगस्त को यह आदेश दिया जिसकी प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध करायी गयी. सूरत के सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी (SVNIT) की अकादमिक प्रदर्शन समीक्षा समिति ने अक्टूबर, 2020 में प्रथम वर्ष के बीटेक के विद्यार्थी के पंजीकरण एवं प्रवेश को अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत होने के लिए आवश्यक 25 क्रेडिट नहीं अर्जित करने पर रद्द कर दिया था.
अवसाद के कारण नहीं दे सका परीक्षा
विद्यार्थी ने इस आधार पर इस फैसले को चुनौती दी थी कि उसे ' आत्महत्या के ख्याल से कई बार अवसाद की स्थिति से गुजरना पड़ा'', जो जनवरी, 2020 में शुरू हुआ और कोविड-19 महामारी के चलते मई-जून 2020 में चरम पर पहुंच गया, और इसी वजह से वह परीक्षा नहीं दे पाया.
गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जा सकता है अवसाद
न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया ने कहा, ''इस मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा खासकर महामारी के दौर की दशा के संदर्भ के मद्देनजर याचिकाकर्ता विद्यार्थी के सामने अवसादकारी मन की स्थिति को गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जा सकता है.''
अदालत ने कहा, ''याचिकाकर्ता ने, जो आधार बताया है, उसे हकीकत के तौर पर देखा जा सकता है और उसपर अविश्वास करने का कोई तुक नहीं है. संदेह करने का प्रतिवादी संस्थान का रूख असंवेदनशील एवं अभिभावक के पत्र में उल्लेखित तथ्यों से परे जाना है जबकि डॉक्टर का प्रमाणपत्र भी उसपर मुहर लगाता है. याचिकाकर्ता द्वारा बताये गये कारण को महामारी की विशेष परिस्थिति में विचारयोग्य है.''