सरकारी सूत्र : सीओपी-26 में कोयले के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाना भारत की भाषा नहीं थी
ग्लासगो में हाल में संपन्न हुए अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन सीओपी-26 में कोयले के उपयोग को ‘चरणबद्ध तरीके से कम करना’ भारत की भाषा नहीं थी और इसे अमेरिका तथा चीन ने पेश किया था.
जनता से रिश्ता वेवबडेस्क। ग्लासगो में हाल में संपन्न हुए अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन सीओपी-26 (COP 26) में कोयले (Coal) के उपयोग को 'चरणबद्ध तरीके से कम करना' भारत (India) की भाषा नहीं थी और इसे अमेरिका तथा चीन ने पेश किया था. सरकारी सूत्रों ने बुधवार को यह कहा. साथ ही, उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत की आलोचना करना अनुचित है.
सूत्रों ने यह भी कहा कि 'चरणबद्ध तरीके से कमी लाना' शब्द पहले से सम्मेलन के दस्तावेज में मौजूद है. ग्लासगो जलवायु समझौता इस बात का जिक्र करता है कि कोयले के उपभोग में और जीवश्म ईंधन के लिए सब्सिडी में चरणबद्ध तरीके से कमी करनी चाहिए. कई देशों ने शुरुआती प्रस्तावों की तुलना में शब्दावली को कथित तौर पर कमजोर करने को लेकर भारत की आलोचना की है. दरअसल, अंतिम दस्तावेज में कोयले के उपयोग में सिर्फ 'चरणबद्ध तरीके से कमी' करने की बात कही गई है, ना कि 'चरणबद्ध तरीके से हटाने' की बात कही गई है.
आधिकारिक सूत्रों ने पूरी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि कई देशों ने कोयले के उपयोग और जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से हटाने के शुरुआती शब्द पर आपत्ति जताई, जिसके बाद देशों के बीच एक सहमति बनी और नया शब्द आया जिसमें 'चरणबद्ध तरीके से हटाना' (फेज आउट) के बजाय चरणबद्ध तरीके से कमी लाना (फेज डाउन) शब्द शामिल किया गया.
एक अधिकारी ने कहा, 'यह सीओपी26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा थे जिन्होंने भारत से नया शब्द पेश करने को कहा था.' उन्होंने कहा कि कोयला आधाारित ऊर्जा चरणबद्ध तरीके से हटाने के बजाय चरणबद्ध तरीके से इसमें कमी लाने के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया जाना अनुचित है. ताप विद्युत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है.
सीओपी 26 में करीब 200 देशों ने 13 नवंबर को इस समझौते को स्वीकार किया, जिसका लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग के लक्ष्य को बरकरार रखना है लेकिन भाषा में बदलाव के साथ, जो कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से हटाने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कमी लाने की कर दी गई.
सरकार के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चरणबद्ध तरीके से कमी लाने का शब्द दस्तावेज में पहले से था. उन्होंने कहा कि भारत निश्चित तौर पर कोयले के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से हटाने से सहज नहीं है क्योंकि भारत में अब भी विद्युत उत्पादन का सबसे बड़े हिस्से का स्रोत कोयला है.
हालांकि, उसने चरणबद्ध तरीके से कमी लाने का शब्द पेश नहीं किया. अधिकारी ने कहा, 'चरणबद्ध तरीके से कमी लाने का शब्द अमेरिका और चीन से आया. भारत को सिर्फ इसलिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा कि उसने दस्तावेज को पढ़कर सुनाया.'
सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी द्वारा घोषित पांच राष्ट्रीय लक्ष्यों को अद्यतन राष्ट्रीय लक्ष्य (एनडीसी) करार नहीं दिया जा सकता.