Nahan में मुहर्रम पर उमड़ा सैलाब

Update: 2024-07-18 11:09 GMT
Nahan. नाहन। सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन में बुधवार को मुहर्रम के अवसर पर हजारों की तादात में मुस्लिम समाज के लोग ताजिए के जुलूस में शामिल हुए। इस दौरान हर वर्ग के लोगों ने इमाम हुसैन व उनके परिवार के कत्लेआम का मातम मनाते हुए शहर भर में जुलूस निकाला। मातम के इस जुलूस के दौरान मुस्लिम समाज के छोटे बच्चों से लेकर युवा व मध्यम वर्गीय आयु वर्ग के लोग मातम में अपने शरीर को जख्मी करते हुए लहुलूहान हो रहे थे। मातम में कोई भी मुस्लिम व्यक्ति इस दौरान जरा भी विचलित होता नजर नहीं आ रहा था। हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के साथ-साथ हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई समाज के लोग ताजिए के साथ शामिल हुए। इस्लामिक नए वर्ष को लेकर जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन में मुहर्रम के विभिन्न कार्यक्रम करीब एक सप्ताह पहले से शुरू हो गए थे। कार्यक्रम के तहत मंगलवार को मुहर्रम की नौ तारीख को लेकर नाहन शहर में रात के ताजिए निकाले गए थे। मुहर्रम की दस तारीख बुधवार को नाहन शहर में सुन्नी समाज के लोगों ने ताजिए के जुलूस में भारी संख्या में शिरकत की। इस दौरान शहर में पहला ताजिया गुन्नूघाट से निकाला गया जो भारी संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों के साथ हरिपुर मोहल्ले के लालटेन चौक पर पहुंचा जहां पर हरिपुर मोहल्ले का दूसरा ताजिया मातम के इस जुलूस में शामिल हुआ। धीरे-धीरे यह ताजिए आगे बढ़ते गए तथा रानीताल के समीप तीसरा ताजिया आसपास के लोगों के साथ शामिल हो गया। इस दौरान लोगों की भीड़ भी बढ़ती गई तथा मातम के साथ भीड़ का
कारवां आगे बढ़ता गया।

जैसे ही शहर के कच्चा टैंक के जामा मस्जिद के पास कच्चा टैंक का चौथा ताजिया शामिल हुआ तो ताजिए का जोश अपने आप में देखते ही बन रहा था। हुजूम सडक़ों पर इस कद्र था कि पांव रखने की भी जगह नहीं थी। चारों ताजिए जामा मस्जिद तक आगे बढ़े तथा देर शाम इन ताजियों को शहर के कच्चा टैंक स्थित जामा मस्जिद में बनाए गए इमाम बाड़े में रखा गया। मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी जिला सिरमौर के अध्यक्ष कैप्टन सलीम अहमद, ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के प्रदेश मुख्य सलाहकार नसीम मोहम्मद दीदान, प्रदेश के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व लीगल एडवाइजर एडवोकेट शकील अहमद शेख ने बताया कि पहली मुहर्रम से ही जब चांद नजर आता है तो नए इस्लामिक साल की शुरुआत होती है। मुहर्रम इस्लामी साल का पहला महीना माना जाता है। इस महीने को शोक का महीना माना जाता है, क्योंकि इस महीने में इमाम हुसैन व उनके परिवार के 72 लोगों को एक दुष्कर्मी राजा याजिद की फौज ने नील नदी के किनारे भूखे-प्यासे धोखे से छह-छह महीने के बच्चों को कत्ल कर दिया था। दुष्कर्मी राजा ने इमाम हुसैन व उसके परिवार का खाना पानी बंद कर दिया था तथा शाम को जब वह नमाज पढ़ रहे थे तो पीछे से आकर इनके सिर पर वार कर सिर धड़ से अलग कर दिए थे। तब से इनकी याद में शिया लोग पहली मुहर्रम से काले कपड़े पहनते हैं। बुधवार को नाहन शहर में इसी याद में चार ताजिए गुन्नूघाट, हरिपुर मोहल्ला, रानीताल व कच्चा जोहड़ से निकाले गए, जिसमें हजारों की संख्या में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए।
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