तलाक केस: महिला ने गुजारे भत्ते के तौर पर हर महीने 6 लाख मांगे, महिला जज भड़कीं

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Update: 2024-08-22 08:30 GMT
नई दिल्ली: पति पत्नी के रिश्ते में तलाक की स्थिति आने पर पति की ओर से उसे एलिमनी यानी मासिक खर्च दिया जाता है. हाउस वाइफ महिलाओं के लिए भारत समेत कई देशों में ये कानून है. रिश्तों से किसी कारण से अलग हो रही महिलाओं और उनके बच्चों की आर्थिक सहायता के लिए इस तरह के कानून बनाए गए हैं. लेकिन कई बार लोगों को इन कानूनों का गलत फायदा उठाते देखा गया है. हाल में एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसकी कानूनी कार्रवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
वीडियो में कोर्ट के अंदर तलाक का केस चल रहा है और महिला पक्ष का वकील, महिला की ओर से महीने की 6 लाख 16 हजार रुपये एलिमनी की मांग रखता है. वह कहता है कि उनकी क्लाइंट को हर महीने- जूते, कपड़े ,चूड़ियों के लिए 15 हजार रुपये, खाने के लिए 60 हजार रुपये और फिजियोथेरेपी और अन्य मेडिकल खर्चों के लिए 4 से 5 लाख रुपये की जरूरत होगी.
इसपर महिला जज करारा जवाब देते हुए कहती है- 'अगर एक महिला को एक महीने में खुद पर 6 लाख से ज्यादा का खर्च करना पड़ता है तो उसे कमाना आना चाहिए .आप कोर्ट को बता रहे हैं कि एक महिला को हर महीने 6,16,300 रुपयों की जरूरत होगी. न कोई बच्चा है और न कोई अन्य जिम्मेदारी. कौन खर्च करता है खुद पर इतना पैसा. इतना खर्चा है तो पति से मत मांगो, खुद कमा लो.'
जज ने कहा- 'पत्नी से विवाद है तो क्या पति को ऐसे सजा देंगे. कानून ये नहीं कहता है. ये शोषण है.'
जज ने आगे वकील से कहा- आप एक जायज राशि की मांग लेकर आइये वरना दलील खारिज कर दी जाएगी. ये सुनवाई 20 अगस्त 2024 को हुई थी. इससे पहले 30 सितंबर, 2023 को अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, बेंगलुरु ने महिला के पति को उसे 50,000 रुपये का मासिक गुजारा भत्तादेने का आदेश दिया था. इसपर महिला ने अंतरिम गुजारा भत्ता राशि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था.
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