Shimla. शिमला। नीट परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद कई शिकायतें सामने आ रही हैं, जो एनटीए के परीक्षा संचालन की पारदर्शिता पर सवाल उठा रही हैं। नीट परीक्षा को लेकर एचपीयू में एसएफआई ने प्रदर्शन किया है। परीक्षा की उच्च स्तरीय जांच करवाने का भी आग्रह किया है। एनटीए लाए जाने के बाद से महत्वपूर्ण परीक्षाओं में निरंतर हो रहे गंभीर भ्रष्टाचार एवं कुप्रबंधन की श्रृंखला की एक और कड़ी के रूप में हुआ है। परिणामस्वरूप, यह एक बार फिर साबित हो गया है कि एक केंद्रीकृत संस्था एनटीए नीट जैसी प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाने में अक्षम और अयोग्य है। एसएफआई का कहना है की एमबीबीएस-बीडीएस स्नातक स्तरीय प्रवेश परीक्षा में कुल अंक 720 होते हैं। प्रत्येक सही उत्तर के लिए चार अंक दिए जाते हैं, जबकि प्रत्येक गलत उत्तर के लिए कुल अंक में से एक अंक काटा जाता है, जबकि अनुत्तरित प्रश्न छोड़ दिया जाता है तो उस स्थिति में, 719 और 718 जैसे अंक प्राप्त करना गणितीय रूप से संभव नहीं है। लेकिन ऐसे मामले कई परिणामों में देखे गए हैं। एनटीए ने एक बयान में लापरवाही से कहा है कि इस साल के रिजल्ट में ग्रेस मार्किंग भी हुई है।
लेकिन इस साल परीक्षा से पहले एनटीए द्वारा प्रकाशित दिशानिर्देशों में कहीं भी इस ग्रेस मार्किंग योजना का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसके अलावा, ऐसी शिकायतें भी मिली हैं कि एक ही केंद्र से एक ही क्रम में लगातार रोल नंबर वाले छात्रों को समान अंक मिले हैं, जो की प्रसंगवश 720 में से 720 अंक हैं। रैंक में इस गंभीर विवर्धन के कारण उम्मीदवारों को अब निजी कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो सीधे तौर पर एनटीए की नीतियां जैसे कि पाठ्यक्रम में उल्लेखनीय कमी के कारण है। मोदी सरकार में जिस तरह से एनएमसी और एनटीए मिलकर मेडिकल शिक्षा का निजीकरण कर रहे हैं, वह देश के भविष्य के लिए खतरनाक है। मेडिकल क्षेत्र में राज्य-आधारित संयुक्त प्रवेश परीक्षा प्रणाली को बदलने के लिए अंतहीन भ्रष्टाचार का तर्क था, अब यही अंतहीन भ्रष्टाचार का आरोप नीट को लेकर भी सामने आ रहा है। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस भ्रष्टाचार घटना की तत्काल पारदर्शी और निष्पक्ष जांच की मांग की है। एनटीए को खत्म करने और इसके अब तक के सभी घोटालों की जांच करने की मांग भी की गई हैं। परीक्षाओं में धांधली से युवाओं का भविष्य खराब हो रहा है।