नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि देश की आर्थिक सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता को खतर पैदा किए बिना केवल सोने की तस्करी गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवादी कृत्य नहीं है।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस मिनी पुष्कर्णा की बेंच ने असम से दिल्ली 83.621 किलोग्राम वजन के 500 सोने के बिस्कुट की तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार नौ लोगों को शुक्रवार को जमानत दे दी। बेंच ने कहा कि यूएपीए के तहत आतंकवादी कृत्य की परिभाषा में संशोधन किए जाने के बावजूद इस कानून की धारा-15(1)(ए)(iiia) में 'सोना' नहीं जोड़ा गया।
यह धारा तस्करी के जरिये भारत की वित्तीय स्थिरता को नुकसान पहुंचाने का संदर्भ परिभाषित करती है जैसे उच्च गुणवत्ता की जाली भारतीय मुद्रा, सिक्का या अन्य सामग्री।
अदालत ने रेखांकित किया कि जाली मुद्रा या सिक्कों को रखना, इस्तेमाल करना, उत्पादन करना, हस्तांतरित करना गैर कानूनी है, लेकिन सोने का उत्पादन करना, रखना, इस्तेमाल आदि करना नहीं। यहां तक कि सोने का आयात प्रतिबंधित नहीं है, बल्कि उपयुक्त शुल्क का भुगतान करने की बंदिश है।
अदालत ने आरोपियों को एक-एक लाख रुपये का मुचलका जमा करने, फोन को हमेशा ऑन रखने और अगले छह महीने तक जांच अधिकारियों को अपने स्थान की लोकेशन शेयर करने का भी निर्देश दिया।
बेंच ने जमानत देते हुए याचिकर्ताओं को अपना पासपोर्ट जमा करने, बिना निचली अदालत की पूर्व अनुमति के देश नहीं छोड़ने और समय-समय अपने-अपने क्षेत्र के पुलिस थाने को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा वर्तमान मामले में आपराधिक साजिश की कथित कमीशन, आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने और आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालने और यूएपीए के तहत भारत की मौद्रिक स्थिरता को नुकसान पहुंचाने के लिए मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का इस आधार पर विरोध किया कि इस देश की आर्थिक स्थिरता को भंग करके आरोपियों द्वारा एक आतंकवादी कृत्य करने की एक बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया था।