नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। पिछले कुछ समय से वह अस्वस्थ चल रहे थे। इसी वर्ष उन्होंने संसदीय राजनीति को भी अलविदा कह दिया था।
लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहे डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल बतौर सांसद राज्यसभा में 3 अप्रैल 2024 को समाप्त हो गया था। इसके बाद उन्होंने इस सफर को आगे न बढ़ाने का निर्णय लेते हुए संसदीय राजनीति को सदैव के लिए अलविदा कह दिया। दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के लिए बतौर सांसद यह आखिरी पारी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लंबे समय तक राज्यसभा सांसद रहने वाले देश के चुनिंदा नेताओं में शुमार थे। वह लगभग 33 वर्ष तक राज्यसभा के सांसद रहे। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में नई वित्तीय वह प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की। वर्ष 1991 में वह पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने थे। उसी साल वह 1991 से 1996 तक तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे और फिर 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह की रिटायरमेंट से एक दिन पहले मंगलवार को कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक भावुक पत्र भी लिखा था। अपने इस पत्र में खड़गे ने कहा था कि मनमोहन सिंह ने बहुत समर्पण और निष्ठा से देश सेवा की और गरीबों के लिए काम किया। उन्होंने लिखा था कि मनमोहन सिंह ऐसे शख्स रहे जिनकी सलाह को वह महत्व देते रहे।
मनमोहन सिंह सदैव ही कर्तव्यों के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते रहे। बीते वर्ष बीमारी के बावजूद वह व्हीलचेयर पर राज्यसभा में आए थे। यहां एक विधेयक पर कांग्रेस समर्थित विचार के पक्ष में मतदान के लिए वह राज्यसभा पहुंचे थे। यहां राज्यसभा में 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक' पर वोटिंग होनी थी। खास बात यह रही कि पूर्व प्रधानमंत्री व कांग्रेस के राज्यसभा सांसद मनमोहन सिंह अस्वस्थ होने के बावजूद संशोधन विधेयक के खिलाफ वोटिंग के लिए राज्य सभा में उपस्थित हुए थे।
पूर्व प्रधानमंत्री व्हीलचेयर पर संसद में पहुंचे। अपने सहयोगी की सहायता से सदन में व्हीलचेयर पर ही बैठे रहे क्योंकि वो अपनी तय सीट पर बैठने की स्थिति में नहीं थे। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने बीते वर्ष अगस्त में अपने सांसदों के लिए एक व्हिप जारी किया था। कांग्रेस ने अपने सांसदों को व्हिप जारी करके इस बिल के खिलाफ वोट करने को कहा था। अप्रैल में संसदीय राजनीति को अलविदा कहने के बाद मनमोहन सिंह की सक्रिय राजनीति और संसद से दूरी बनने लगी थी। इसका एक बड़ा कारण उनका गिरता स्वास्थ्य था। हालांकि इसके बावजूद भी वह महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने पत्रों के माध्यम से अपनी राय प्रकट करते रहे।