CRIME: बगुलो का प्रजनन काल शुरू, घोंसलों में गूंज रहा कलरव

Update: 2024-08-07 11:53 GMT
Pratapgarh. प्रतापगढ़। इन दिनों जिले में कई स्थानों पर ऊंचाई वाले और कंटिले पेड़ पर बगुलों ने आशियानें बनाए हुए है। इससे सुबह से शाम तक दिनभर बगुलों का कलवर गूंज रहा है। जुलाई-अगस्त का समय केटल इग्रेट(गाय बगुला) के लिए प्रजनन का रहता है। ऐसे में यह समूह में रहकर ऊंचाई वाले और बबूल के पेड़ों पर अपने घोंसले बनाते है। इन गांवों और खेतों की मेड़ के पेड़ों पर बगुले घोंसले बने हुए है। केटल इग्रेट खेतों, बीड़ आदि में मवेशियो के साथ विचरण करते रहते है। इन मवेशियों के चलने के दौरान जो कीट, छोटे जीव आदि जमीन से बाहर निकलते हैए
उनका भक्षण करता है।

इस कारण इस इग्रेट को केटल इग्रेट कहा जाता है। केटल इग्रेट का भोजन मुख्यत: कीट, छोटे रेंगने वाले जीव होते है। खेतों में सिंचाई, हंकाई, मवेशियों के विचरण करने के दौरान इस प्रकार के कीट जमीन से बाहर निकलते है। इन कीटों का भक्षण करने के कारण किसानों के दोस्त भी कहे जाते है। मानसून काल में प्रजनन करता है। सुरक्षा के कारण यह अक्सर बबूल, कांटेदार पेड़ों पर समूह में घोंसले बनाते है। एक बार में अमुमन दो से तीन अंडे देते देते है। पर्यावरणविद् मंगल मेहता ने बताया कि रात्रि में यह अक्सर एक ही पसंदीदा पेड़ों पर समूह के रूप में एक ही विश्राम करते है। बार-बार उसी जगह पर आते है। इसकी बीट खेतों में एक उत्तम खाद होती है।
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