बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में माकपा नेता हिरासत में, वामपंथी समर्थकों ने साधी चुप्पी
केरल में दिल को दहला देने वाली एक घटना सामने आई है।
नई दिल्ली, केरल में दिल को दहला देने वाली एक घटना सामने आई है। राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा की युवा शाखा का एक नेता छह साल की बच्ची के साथ तीन साल तक दुष्कर्म करता रहा। बीते 30 जून को भी उसने बच्ची के साथ फिर दुष्कर्म किया और उसके बेहोश होने पर उसकी हत्या कर दी। बाद में बच्ची का शव उसके माता-पिता के घर में ही फंदे से लटका पाया गया। केरल पुलिस ने दिखाने के लिए तो आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन पुलिस के साथ ही वामपंथी सरकार आरोपित को बचाने में जुट गई है।
कठुआ और हाथरस कांड पर गला फाड़कर चिल्लाने और बच्चों के अधिकारों की बाते करने वाले इस कांड पर चुप हैं। वामपंथी विचारों वाली मीडिया चुप है। अवार्ड वापसी गैंग भी खामोश हैं। इडुक्की जिले में इस वारदात को सुनियोजित तरीके से अंजाम देने वाले माकपा नेता के खिलाफ देश भर में धरना प्रदर्शन तो दूर की बात है विरोध की एक आवाज नहीं सुनाई दे रही है। ऐसा नहीं है कि माकपा के किसी कैडर ने इस तरह का कोई पहला अपराध किया हो। राज्य के पलक्कड़ जिले के वलायर में दो छोटी बहनों के साथ भी वर्षों तक दुष्कर्म होता रहा और बाद में इन दोनों को भी संदिग्ध हालात में फांसी पर लटका कर मारा डाला गया।
अदालत ने अब इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी है। इस मामले में भी आरोपित सत्तारूढ़ माकपा का कार्यकर्ता ही है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जिला बाल अधिकार आयोग ने अदालत में आरोपित का ही बचाव किया है। इस मामले की जांच को दूसरी दिशा देने वाले जिले के पुलिस अधीक्षक को माकपा सरकार ने प्रमोशन दे दिया है
घटना के विरोध में दोनों बच्चियों की मां ने विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पी. विजयन के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। केरल में मासूम बच्चियों के साथ अपराध का तरीका एक जैसा है। यौन शोषण, दुष्कर्म और हत्या। इसमें कथित तौर पर एक ही पार्टी माकपा के नेता और कार्यकर्ता ही शामिल पाए जा रहे हैं। लेकिन पुलिस और सरकार बच्चियों को न्याय दिलाने की जगह आरोपितों को ही बचाती नजर आ रही है।