BIG BREAKING: प्रशांत किशोर गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे

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Update: 2025-01-02 11:58 GMT
New Delhi. नई दिल्ली। प्रशांत किशोर गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे है। आपको बता दें कि बेशक प्रशांत किशोर ने पटना की सड़कों पर आंदोलन कर रहे युवाओं के साथ जुड़ने में अच्छा अवसर देखा होगा. लगा होगा सड़क पर उतरकर सपोर्ट कर देने से बेरोजगारी से परेशान युवाओं का साथ मिल जाएगा तो चुनावी वैतरणी पार करने में मुश्किलें थोड़ी कम हो जाएंगी, लेकिन लगता है दांव उल्टा पड़ गया है। प्रशांत किशोर पर आंदोलनरत अभ्यर्थियों को भड़काने का आरोप लगा है।

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने युवाओं के आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप लगाया है. जन सुराज नेता प्रशांत किशोर जब आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे तो युवाओं से तीखी बहस भी हुई. और, ये भी इल्जाम है कि जब पुलिस का सख्त रुख देखा तो वाटर कैनन और लाठीचार्ज से पहले ही खिसक लिए. सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल है, जिसमें प्रशांत किशोर के मुंह से सुनने को मिल रहा है, '... घर जाना है'. हालांकि, भूल सुधार करते हुए अगले दिन प्रशांत किशोर पुलिस कार्रवाई में घायल छात्रों से मिलने अस्पताल भी पहुंचे - और सफाई भी दी।

70वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर बिहार के युवा 18 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 29 दिसंबर को आंदोलन में प्रशांत किशोर की एंट्री के बाद बवाल बढ़ गया है. लेफ्ट के छात्र संगठन आइसा ने पुलिस एक्शन के विरोध में 30 दिसंबर को बिहार बंद की कॉल दी है. आंदोलनकारी युवा परीक्षा रद्द कर उसे दोबारा कराये जाने की मांग कर रहे हैं, और प्रशांत किशोर भी इस बात का सपोर्ट कर रहे हैं. बताते हैं कि प्रशांत किशोर के कहने पर गांधी मैदान से मुख्यमंत्री आवास तक आक्रोश मार्च निकाला गया था. जेपी गोलंबर के पास पहुंचने के बाद आंदोलनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया. पुलिस और प्रशासन की तरफ से उनको समझाने की कोशिशें हुई, लेकिन वे नहीं माने. पुलिस का भी कहना है प्रशांत किशोर के कहने पर ही आंदोलन ने नया मोड़ लिया।

बताते हैं कि आंदोलन स्थल पर पहुंचे प्रशांत किशोर ने प्रदर्शनकारियों को भरोसा दिलाया था कि अगर पुलिस एक्शन हुआ तो पहली लाठी उन पर पहली ही चलेगी. मौके पर प्रशांत किशोर और आंदोलनाकारियों के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई. बहस कर रहे युवाओं से प्रशांत किशोर ने गुस्से में कहा, 'ज्यादा होशियार बन रहे हो... यहां आंदोलन में रहना है, तो रहो... नहीं तो चले जाओ...' बात नहीं सुनने पर प्रशांत किशोर ने कहा, तमीज से बात करो, नहीं तो चुप रहो. उसके बाद प्रशांत किशोर ने यहां तक बोल दिया, कंबल मांगे हो मुझसे... और बहस करते हो. आंदोलन कर रहे युवाओं ने प्रशांत किशोर के दावे को उसी वक्त खारिज कर दिया. बोले, कोई कंबल आपसे नहीं मांगा है. उनका कहना था कि वे लोग चंदा करके कंबल मंगवाये हैं. अगर प्रंशात किशोर ने कंबल देने की बात कही, तो मतलब साफ है. प्रशांत किशोर आंदोलन की आग में घी डालने का काम कर रहे थे. लेकिन चीजें हाथ से निकल गईं, और आंदोलन की आग में हाथ भी झुलस गया।
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