नए लुक में नजर आएगी बाबा बालकनाथजी की तपोस्थली

Update: 2024-08-25 10:10 GMT
Bilaspur. बिलासपुर। बाबा बालकनाथ की तपोस्थली शाहतलाई आने वाले समय में नए लुक में नजर आएगी। मंदिर एरिया की सुनियोजित तरीके से डिवेल्पमेंट करने के साथ ही बाबाजी से जुड़ी ऐतिहासिक यादों को जीवंत बनाए रखने के मकसद से मंदिर न्यास प्रशासन ने पौने तीन करोड़ रुपए का खाका तैयार किया है। सरकार की अप्रूवल मिलने के बाद अब अगली कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। खास बात यह है कि मंदिर की एंट्रेंस पर बाबाजी से जुड़ा इतिहास सामने की दीवार पर अंकित होगा जिससे श्रद्धालु अवगत हो सकेंगे। मंदिर की सुनियोजित तरीके से डिवेल्पमेंट के लिए बाकायदा डिजाइन भी तैयार कर लिया गया है। यह कार्य ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से करवाया जाएगा। मंदिर न्यास आयुक्त एवं अतिरिक्त उपायुक्त डा. निधि पटेल ने खबर की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि बाबाजी का धूणा व मूर्तियों अपने स्थान पर ही रहेंगी। भीतर की किसी भी चीज से छेड़छाड़ नहीं होगी। मंदिर के भीतर प्रवेश के लिए और बाहर जाने के लिए गेट बनेंगे। डिजाइन के अनुरूप कार्य होगा। फिलहाल तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जा रहा है। मंदिर की डिवेल्पमेंट का कार्य ग्रामीण
विकास विभाग के जरिए होगा।

मंदिर के प्रवेशद्वार पर सामने की दीवार पर बाबा जी का इतिहास अंकित किया जाएगा और लाइटनिंग की व्यवस्था कर इसे चाक चौबंद किया जाएगा। हाल ही में गुरनाझड़ी मंदिर को डिवेल्प किया गया है। बाबाजी की स्थली अपना एक इतिहास रहा है जिसको संजोए रखने के मकसद से नई योजना बनाई गई है। यहां बता दें कि शाहतलाई धार्मिक स्थल है जिसका अपना एक इतिहास है। यहां स्थित गुरना पेड़ का विशेष धार्मिक महत्त्व है। गुरना पेड़ का दर्शन किए बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ ने माई रतनो का धर्म पुत्र बनकर 12 वर्ष गाएं चराई थीं। चरण गंगा के किनारे स्थित गुरने की छाया में बैठकर तपस्या की थी। गुरना पेड़ आज भी उसी तरह हराभरा है। माना जाता है कि गुरना पेड़ के तने में डोरी बांधने से हर मनोकामना पूरी होती है। जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो श्रद्धालु उस डोरी को खोल देते हैं। इतना ही नहीं श्रद्धालु गुरने के पत्तों को तोडक़र प्रसाद के रूप में घर ले जाते थे। इससे गुरने का अस्तित्व खतरे में पडऩे लगा था। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए मंदिर न्यास ने गुरने के तने के चारों ओर लोहे की ऊंची ग्रील लगा दी है। अब श्रद्धालु ग्रील पर ही डोरी बांधकर मन्नतें मांगते हैं।
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