Sundernagar. सुंदरनगर. सनातन संस्कृति में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। एक गुरु ही है, जो हमें सही और गलत का अंतर समझाते हैं। इसलिए शिक्षकों को शिष्य का सच्चा पथ प्रदर्शक कहा जाता है। सुंदरनगर उपमंडल के राजकीय माध्यमिक विद्यालय छातर में गुरु.शिष्य के प्रेम व अटूट बंधन का एक ताज़ा उदाहरण देखने को मिला। जहां एक शिक्षक के तबादले का पता चलते ही बच्चे कक्षा में फू ट फ ूटकर रोने लगे। बच्चों का ये लगाव देखकर अध्यापक की आंखों में भी आंसूओं से नम हो गई। छातर स्कूल में शास्त्री पद पर अपनी सेवाएं दे रहे रोशन लाल ने विद्यालय में पढऩे वाले विद्यार्थियों के दिल में ऐसी जगह बनाई थी कि हर बच्चा अपना सुख दुख, पठन-पाठन से समस्याओं को रोशन लाल शास्त्री से ही बताते थे। शास्त्री ने विद्यालय के वातावरण को गुरुकुल की भांति सभ्य और संस्कारित कर दिया है।
प्रत्येक बच्चों में संस्कृत के प्रति रुचि पैदा कर दी थी। खाली समय में संस्कृत के श्लोक सुनने को मिलते थे। बच्चों के पठन.पाठन, सुलेख, संस्कार युक्त कार्य के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाते थे। यही नहीं रोशन लाल ने गरीब परिवार के बच्चों के लिए वर्दी, जूते, जुराबें कापियां भी अपनी ओर से वितरित की। इन्होंने विद्यालय के भौतिक विकास के लिए भी उत्कृष्ट कार्य किए। इससे पूर्व भी रोशन लाल ने नौलखा स्कूल के लिए विद्यालय भवन के लिए भूमि की व्यवस्था, पुराने विद्यालय के लिए शौचालय, रसोई घर, चार दीवारी आदि अनेक कार्य किए जिसके लिए उप शिक्षा निदेशक प्रारंभिक मंडी ने सम्मानित भी किया है। विद्यालय प्रभारी शबनम सैनी ने कहा रोशन लाल शास्त्री कर्मठ और मेहनती अध्यापक है। विद्यालय में इनकी कार्यशैली सबसे भिन्न है। ये हमेशा बच्चों के बीच रहकर नई नई चीजें सिखाते रहते हैं। बच्चों के मानसिक व शारिरिक विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहते है। इन्होंने लोगों के साथ विद्यालय की भूमि की समस्या का भी निदान किया।