चीन के साथ सीमा विवाद के बीच आर्मी चीफ ने दिया बड़ा बयान

चीन के साथ सीमा विवाद के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने दिया बड़ा बयान

Update: 2021-10-21 17:53 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते करीब डेढ़ साल से जारी सीमा तनाव के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा है कि बातचीत का यह कतई अर्थ नहीं है कि भारत की तैयारियों में कोई कमी या कोताही मुमकिन है. सेनाध्यक्ष ने साफ किया कि अगर कोई स्थिति थोपी जाती है तो भारतीय सेना हर हालात और मौसम में किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए 24x7 तैयार है.

चीन के साथ 13वें दौर की वार्ताओं में मिली नाकामी पर सेनाध्यक्ष ने कहा कि हर बार बातचीत के दौरान सफलता मिले यह जरूरी नहीं. उन्होंने पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात को पिछले साल की तुलना में बेहतर बताया. वहीं इस बात पर भी जोर दिया कि जब तक बातचीत की कवायद चल रही है समाधान निकालने की उम्मीद बरकरार है.
सेना प्रमुख के मुताबिक वार्ताओं के दौरान भी कई बार खतरों की समीक्षा कर तैनाती में बदलाव किए गए हैं. बढ़े खतरों से मुकाबले के लिए सैन्य बलों को संतुलित तरीके से तैनात किया गया है. साथ ही जरूरी ढांचागत सुधार भी किए गए हैं. इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव में शरीक हुए जनरल नरवणे ने इस बात पर जोर दिया कि तैयारियों को केवल पूर्वी लद्दाख में हालात के चश्मे से देखना गलत होगा. बल्कि भारतीय सेना पूरे उत्तरी मोर्चे पर व्यापक तरीके से निगरानी कर रही है.
जनरल नरवणे के मुताबिक 'हम एक पल के लिए भी न तो अपनी चौकसी कम कर सकते हैं और न ही यह मान सकते हैं कि भविष्य में हालात खराब नहीं होंगे. हालांकि स्थिति को सुलझाने के लिए सेना ही नहीं राजनयिक व राजनीतिक स्तर पर भी बातचीत की प्रक्रिया चल रही है. इसका परिणाम भी है कि यदि पिछले साल पांच जगह पर तनाव के मोर्चे थे तो अब यह घट कर एक-दो तक सीमित हो गए हैं.'
हर हालात में मुकाबले को तैयार है सेना: नरवणे
चीन की हरकतों पर चेतावनी देते हुए सेनाध्यक्ष ने कहा कि यह हमारी उम्मीद है कि सभी मुद्दे बातचीत के जरिए सुलझ जाएंगे. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता और हम पर हालात थोपे जाते हैं तो हम हर वक्त अपनी सीमाओं की हिफाजत करने व संप्रभुता की रक्षा को तैयार हैं. यह पूरे साल चलने वाली प्रक्रिया है. इसलिए भारतीय सेना चाहे उंचे पहाड़ हों, भारी बर्फबारी हो या मुश्किल हालात हों. सरहदों की हिफाजत के लिए चौबीसों घंटे तैयार है.
ध्यान रहे कि भारत और चीन के बीच मई 2020 से ही सीमा पर तनाव की स्थिति है. वहीं दोनों देशों के बीच 15 जून 2020 को हुई गलवान की घटना ने हालात को खराब कर दिया. जिसमें एक कर्नल रैंक अधिकारी समेत 20 सैनिक शहीद हुए थे. वहीं चीन के भी दो दर्जन से अधिक सैनिक मारे गए थे.
सेनाध्यक्ष ने कहा कि बीते दो-तीन महीनों के दौरान पाकिस्तान की तरफ से भी आतंकी घुसपैठ की घटनाओं में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ फरवरी 2021 में डीजीएमओ स्तर पर बनी संघर्ष विराम सहमति के बाद से एलओसी पर सीज फायर उल्लंघन में कमी आई. नियंत्रण रेखा पर फरवरी से जुलाई की शुरुआत तक कोई संघर्ष विराम की घटना नहीं हुई. इतना ही नहीं घुसपैठ की कोशिशों में भी कमी दर्ज की गई. जुलाई के बाद से बीते दो-तीन महीनों के दौरान घुसपैठ की घटनाओं में इजाफा हुआ है. कई कोशिशों को नाकाम किया गया है.
हालांकि सेनाध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद निरोधक ग्रिड मजबूती से अपना काम कर रही है. उन्होंने कहा कि सेना की रणनीति तैयार है और उसके अनुसार तैनातियां भी की गई हैं. बीते दिनों पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी की गिरफ्तारी और उसके बयानों का हवाला देते हुए जनरल नरवणे ने दो-टूक कहा कि भारत अपने पश्चिमी पड़ोसी के प्रायोजित आतंकवाद को झेल रहा है क्योंकि उसकी मदद के बिना कश्मीर में जो हो रहा है वो मुमकिन नहीं है.
पाक को चुभेंगे अपनी ही फसल के कांटे
सेना प्रमुख ने अफगानिस्तान में तालिबानी निजाम के आने पर पाकिस्तान की खुशी पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि उन्हें कुछ ही समय में अपनी पश्चिमी सीमाओं पर यह पता चल जाएगा कि जो उन्होंने बोया है उसके कांटे कैसे चुभते हैं.ध्यान रहे कि बीते कुछ दिनों के दौरान वैसे भी तालिबान और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव आया है. इसके मद्देनजर ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद काबुल पहुंचे हैं.


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