Bilaspur में मनाई वरिष्ठ पत्रकार की 18वीं पुण्यतिथि और श्रद्धांजलि समारोह

Update: 2024-07-19 12:11 GMT
Chandpur. चांदपुर। उनके डसने की फितरत से वाकिफ था वो, मगर उम्र भर नागों को दूध पिलाता रहा मेरा यार, जब यह पक्ंितया एसआर आजाद ने मंच पर सुनाई तो सारा पंडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। मौका था बिलासपुर में पत्रकारिता को नई पहचान देने तथा पत्रकारों की नई पौध को पैदा करने वाले स्वर्गीय शब्बीर कुरैशी की 18वीं पुण्यतिथि पर आायोजित श्रद्धांजलि समारोह और कवि गोष्ठी का। इस कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर सेवानिवृत प्रिंसीपल एसआर आजाद ने उनके साथ बिताए पलों को अपने अंदाज में सांझा किया। समाज के शब्बीर कुरैशी के इस योगदान को सहजता से भुलाया नहीं जा सकता है। यह उनकी की नेक कमाई है कि आज उन्हें याद करने के लिए बिलासपुर का बुद्धिजीवी वर्ग एकत्रित हुआ है। ऐसे व्यक्तिव भले ही
दुनिया से रूखस्त हो गए हों।

लेकिन नेक और अच्छे कार्यों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाता रहेगा। ईंग्लिश और हिंदी दैनिक समाचार पत्रों में काम करना तथा उनकी गरिमा को बनाए रखने में उनका योगदान अतुलनीय था। यही नहीं सामाजिक सरोकारों को निभाते हुए सांप्रदायिक सौहार्द को कायम रखने में कुरैशी को सदैव याद किया जाता रहेगा। वहीं स्वर्गीय शब्बीर कुरैशी की धर्मपत्नी आशा कुरैशी व पुत्र अजहर ने मुख्यातिथि को टोपी पहनाकर सम्मानित किया। सुशील पुंडीर ने कुशल मंच संचालन किया। जबकि शब्बीर कुरैशी के जीवन पर वरिष्ठ साहित्यकार रविंद्र नाथ भट्टा ने पत्रवाचन कर उनकी जीवनी को जीवंत किया। इसी कड़ी में प्रदीप गुप्ता ने आदर्श व्यक्तित्व के मालिक थे कर्मवीर कंडेरा ने वो बहुत याद आए जीत राम सुमन ने फेरी किने आउणा, अमरनाथ धीमान ने अक्खां च आंजू चेहरे पर मुस्कान, रविंद्र कमल ने जनता ने स्वीकारा था।
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