Up News: कढ़ी-पकौड़े की रस्म के बाद महाकुंभ से विदा हुए अखाड़े, संतों की आंखें भर आईं

Update: 2025-02-08 05:57 GMT
Up News: महाकुंभ 2025 की आभा वाले नागा संन्यासी और अखाड़े के संत मेले से विदा हो गए। परंपरानुसार तीन अमृत (शाही) स्नान के बाद अखाड़े यहां नहीं रुकते। माघ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को प्रस्थान से पहले संतों ने सभी अनुष्ठान पूरे किए। सबसे पहले धर्म ध्वज के नीचे स्थापित इष्ट देव को कक्ष के अंदर ले जाया गया। जहां उनके समक्ष पूर्णाहुति हवन किया गया। पूर्णाहुति हवन के दौरान अष्ट कौशल के संत अपने दिगंबर वेश में आए और फिर अंदर सुरक्षित रखे सूर्य प्रकाश (भाला) को लेकर धर्म ध्वज के नीचे आए और रस्सी को ढीला किया। फिर सूर्य प्रकाश को पैदल ही अपने अखाड़ों के स्थायी कार्यालय ले गए।
जिसके बाद छावनी में आकर स्नान कर वस्त्र धारण कर कढ़ी-पकौड़े की रस्म पूरी कर संतों ने प्रयागराज से प्रस्थान किया। निरंजनी, आनंद, जूना, आह्वान, महानिर्वाणी और अटल अखाड़ों में भी यही नजारा देखने को मिला। वहीं उदासी और निर्मल अखाड़ों में भी परंपरागत तरीके से भगवान की पूजा-अर्चना के बाद संतों ने धर्म ध्वजा उतारकर सामान अपने नगर कार्यालय भेज दिया। वहीं अग्नि अखाड़ा माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद 13-14 फरवरी को मेले से विदा हो जाएगा। जिस छावनी को संतों ने कदम-कदम पर खड़ा किया, एक-एक इंच जमीन नापने के बाद जिसका डेरा जमाया, आज उसे विदा करते हुए संतों की आंखों में आंसू थे।
हालांकि इस बात की खुशी भी थी कि महाकुंभ 2025 उनके मार्गदर्शन में सकुशल संपन्न हुआ। करोड़ों श्रद्धालु यहां आए और अमृत स्नान के भागी बने। चाहे निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत रवींद्र पुरी, सचिव महंत रामरतन गिरि, सचिव महंत ओकार गिरि हों या संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष महंत प्रेम गिरि, अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नारायण गिरि और महासचिव महंत रवींद्र पुरी, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत यमुना पुरी, सभी इस समय भावुक हो गए. संतों ने अपने-अपने अखाड़ों में एक-दूसरे को गले लगाया और फिर आगे बढ़ गए|
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