बस्ती: स्कूलों को निपुण बनाने के लिए चल रहे अभियान का असर दिखने लगा है.प्रदेश भर के स्कूलों के छात्रों के शैक्षिक स्तर में सुधार दर्ज किया गया है.गैर सरकारी संगठन प्रथम की वर्ष 2024 की एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) में यह तथ्य सामने आया है।
शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन प्रथम ने एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2024 जारी कर दी है.इससे पहले वर्ष 2022 में सर्वे हुआ था.दो वर्ष बाद देशभर के स्कूलों में सर्वेक्षण किया गया.इसमें बरेली मंडल के स्कूल भी शामिल हैं.रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में कक्षा 3 से 5 तक के 40.6 फीसदी बच्चे हिंदी और अंग्रेजी की किताब अच्छी तरह से पढ़ लेते थे.वर्ष 2022 में गिरावट हुई.केवल 34.9 फीसदी छात्र ही किताब पढ़ने में सक्षम निकले मगर वर्ष 2024 के सर्वे में 46.5 फीसदी छात्र ऐसे पाए गए जो किताब पढ़ने में सक्षम हैं. इसी तरह से गणित की दक्षता में भी उछाल आया है.वर्ष 2018 में कक्षा तीन से पांच तक के 38.6 फीसदी छात्र गणित में घटाना जानते थे.वर्ष 2022 में 40 फीसदी छात्र घटाने में सक्षम निकले थे.इस बार 12.7 फीसदी वृद्धि के साथ 52.7 फीसदी छात्र घटाने में सक्षम निकले हैं।
निपुण अभियान के चलते मिली सफलता: बीएसए संजय सिंह ने बताया कि स्कूलों को निपुण घोषित करने के लिए युद्ध स्तर पर शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कार्य हो रहा है.भाषा और गणितीय कौशल पर सर्वाधिक ध्यान दिया जा रहा है.उसका परिणाम मिल रहा है.फरवरी 2024 तक 402 और स्कूलों को निपुण करने का लक्ष्य भी हर हाल में प्राप्त किया जाएगा।
भाग करना सीख गए 49 फीसदी विद्यार्थी: कक्षा छह से आठवीं तक के विद्यार्थियों के गणितीय कौशल में विकास हुआ है.2018 में 39.3 ़फीसदी छात्र ही भाग के सवाल सही से हल कर पाते थे.वर्ष 2022 में ऐसे छात्रों का प्रतिशत 43.5 फीसदी हो गया.2024 के सर्वे के अनुसार, 49.4 फीसदी छात्र सवालों में सक्षम हो गए।
कक्षा छह से आठवीं तक के छात्र भी हुए होशियार: प्रदेश भर के स्कूलों में पढ़ रहे कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थी भी गणित और भाषा में पिछले वर्षों के मुकाबले अधिक सक्षम हुए हैं.वर्ष 2018 में 67.1 ़फीसदी छात्र ही किताब पढ़ पाते थे.वर्ष 2022 में यह आंकड़ा घटकर 63.5 फीसदी रह गया था.वर्ष 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 68.8 फीसदी विद्यार्थी हिंदी और अंग्रेजी की किताबें पढ़ने में सक्षम हैं।
कक्षा 6 से 8 तक के भाषा में सक्षम छात्र:
वर्ष 2018: 55.6 फीसदी
वर्ष 2022: 50.5 फीसदी
वर्ष 2024: 62.6 फीसदी