Lucknow के इस खास बगीचे में आबाद है आमों की अनूठी दुनिया

Update: 2024-07-27 05:46 GMT

लखनऊ: चौसा, दशहरी के बीच अमेरिका टामी एटकिन्स, पैरी, ओस्टीन हो या श्रीलंका का मैगीफेरा, आस्ट्रेलिया का कालिग्टन प्राइड जैसे आम के नाम सुनकर चौंक जाएंगे. दशहरी आम के लिए तो वैसे महिलाबाद पूरी दुनिया में विख्यात है लेकिन शहर के बीच एक ऐसी बगिया है जहां दुनियाभर में पाए जाने वाले आम मिल जाएंगे. सात एकड़ में फैले इस बगीचे में आम की 352 किस्मों का उत्पादन हो रहा है. कुछ ऐसे पेड़ हैं जो बारहों महीने फल देते हैं. बारहमासी आम की 27 प्रजातियां यहां उपलब्ध हैं. इनके पेड़ों में एक तरफ आम तैयार होता है तो दूसरी तरफ बौर निकलने लगते हैं. सिंदूरी रंग में आम की कई किस्में शोभा बढ़ाती हैं. आम के अलग-अलग रंग ही बगीचे को आकर्षक बनाते हैं. अवध शिल्पग्राम में आयोजित आम महोत्सव में भी इस बगीचे के आम प्रदर्शित किए जाएंगे. इसकी तैयारी अभी यहां चल रही है.

आमों की इस दुनिया को मैंगोमैन के नाम से चर्चित एसएन शुक्ला ने सजाया है. अवध चौराहे से हरदोई बाईपास पर बुद्धेश्वर से पहले हाईवे किनारे ही मैंगोफेस्ट नाम से आमों का बाग है. आम के पेड़ एक साइज में लगे हैं. बीच फुटपाथ बने हुए हैं ताकि आप चाहें पूरे बाग को देख सकें. यहां ई-कार्ट की भी सुविधा है. इन दिनों बगीचे में दाखिल होते ही सिंदूरी रंग के लटक रहे आधा किलो तक आम सुंदर बनाते हैं. एक पेड़ में आम की कई किस्में भी देखी जा सकती हैं. पेड़ एक है लेकिन हर डाल में अलग किस्म का आम लटक रहा है. पेड़ के तने में कई किस्मों की ग्राफ्टिंग (कलम बांधना) की गई है. इससे एक पेड़ में कई किस्मों के आम का उत्पादन किया जाता है.

फल उत्पादक किसानों को भी प्रशिक्षण

आम उत्पादक एसएन शुक्ला बताते हैं कि दशहरी के बगीचे नरौना स्थित गांव में भी हैं. वहां सिर्फ लखनऊ और आसपास की प्रजातियां हैं लेकिन इस बाग में दुनिया के ज्यादातर देशों के आम मिल जाएंगे. वह फल उत्पादकों के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं. कहते हैं कि आम के बगीचे को मल्टी फार्मिंग बनाने के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं. आम के पौधों को एक कतार में लगाया जाए और बीच में दूसरी नगदी फसलें उगाई जा सकती हैं. जैसे उनके बगीचे के बीच हल्दी अदरक भी उगता है. अमेरिका में फ्लोरिडा में पाई जाने वाले हैडेन, टामी एटकिन्स, ओस्टीन यहां मिल जाएंगी. यहां कपूर, नीबू किस्में, इलायची, दालचीनी, नारियल पेड़ भी लगे हैं.

आमों की देशी-विदेशी किस्में

अंगूरदाना, पैरी, ओस्टीन, नूरी, कैरावाऊ, केन्ट, हैडेन, टामी एटकिन्स, तोतापरी, सेंशेसन, गुलाब खास, करा गोला, अंबिका, अरुनिका, प्रतिभा, केसर, अल्फांजे, वैगन पतली, लालिमा, सूर्या, सीपिया, नीलम, आम्रपाली, मल्लिका, लंबोदर, हाथी झूल, पपीतियो, वेनेशा, मलगोवा, कृष्णभोग, रामपुर, उन्नावी गोली, सफेदा जौहरी, केसर जैसी देश विदेश की 352 प्रजातियां यहां मिल जाएंगी.

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