Up News: धार्मिक नगरी काशी में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु गंगा में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाते हैं। चूंकि सोमवती अमावस्या का संबंध सोमवार से है, इसलिए इसे 'सोमवती अमावस्या' भी कहा जाता है। इस दिन श्रद्धालु स्नान, ध्यान और पूजा-पाठ में लीन रहते हैं। खासकर श्री काशी विश्वनाथ (शिव) की पूजा-अर्चना और आराधना के लिए यह समय बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का भी महत्व है। इन धार्मिक कार्यों से परिजनों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शिव-गौरी की पूजा और व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस संबंध में पंडित राजू झा ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, आज पौष मास की अमावस्या तिथि है। इसे सोमवती अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन स्नान, दान या धर्म करने से अतृप्त आत्मा तृप्त होती है। इससे पितृ देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इससे हमें आशीर्वाद मिलता है। इससे हमारा वंश बढ़ता है और हमारा जीवन सुखमय व्यतीत होता है। उन्होंने बताया कि इस दिन जब हम कोई भी धार्मिक कार्य करते हैं तो हमें बड़ा पुण्य मिलता है। इस दिन दुनियाभर से श्रद्धालु आ रहे हैं।
सभी अपनी क्षमता के अनुसार पूजा-अर्चना कर रहे हैं। आज का दिन भगवान शिव का भी दिन माना जाता है। कई लोग इस दिन मां काली की पूजा भी करते हैं। यह भगवान शिव की नगरी है। कहा जाता है कि यह नगरी शिव के त्रिशूल में बसी है। अगर कोई इस दिन गंगा में स्नान करता है तो उसे पुण्य मिलता है। इस दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बहुत कम लोगों को इस दिन स्नान करने का मौका मिलता है।