Lucknow लखनऊ: आज बी ब्लॉक कॉमन हाल दारुल सफा लखनऊ में उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की राज्य स्तरीय बैठक सम्पन्न हुई।बैठक में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने कहा दर्जनों काम ऐसे हैं जिनका कोई भी परिश्रमिक यानी कि प्रोत्साहन राशि भी नही दी जाती।फिर भी इस तरह कामों के लिए उत्पीड़न की सारी सीमाएं अधिकारियों द्वारा पार कर दी गई है। जानवरो के साथ भी शायद इतना क्रूर व्यवहार किसी भी मानव समाज में नही होता होगा। इसी बेगार में जगह जगह सेवा से वंचित करने की धमकी, आरोपपत्र, गाली गलौज, भुगतान रोके रखने, कृत कार्य के बाउचर न जमा करने सहित तरह तरह की प्रताड़ना दी जाती है ।
उन्होंने कहा कि वर्षो से आयुष्मान कार्ड , गोल्डन आयुष्मान कार्ड बनाने का एक नया पैसा आज तक प्रदेश की किसी एक भी आशा कर्मी को नही दिया गया। जबकि आपके द्वारा 2019 से दिसंबर 2021 तक के राज्य प्रतिपूर्ति राशि के बकाया रू 21000/ , कोविड केंद्रीय प्रोत्साहन राशि के बकाया 19000/ , पीएमजेएसवाई के संपूर्ण बकाया का भुगतान कराए जाने ,अब तक कुल बनाए गए आयुष्मान कार्ड और गोल्डन आयुष्मान कार्ड के संपूर्ण भुगतान का आकलन करके उसको अदा करने व अन्य सभी कृत कार्यों के वर्षो से लम्बित भुगतान का आपके द्वारा विगत 2 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता के दौरान विश्वास दिलाया गया था। किंतु कोई भुगतान अभी तक नही किया गया।लक्ष्मी देवी ने कहा की प्रदेश भर में आशा कर्मियों से उनके बाउचर जमा करने, भुगतान आदि के नाम पर डरा धमका कर की जाने वाली अनुमानित 2 हजार करोड़ से अधिक की वसूली और भुगतान राशि में 1.5 लाख से अधिक के हेर फेर कर की जांच किए जाने ,उनका भुगतान सुनिश्चित कर घोटालों पर आपने लगाम लगाने का निगरानी तंत्र विकसित करने की लगातार मांग पर कोई कार्यवाही नहीं हुई,। सब कुछ पूर्व की तरह बदस्तूर जारी है। बाउचर पर 500/ , टीवीआई भुगतान पर 50% तक और इसी तरह जबरन खुले आम वसूली जारी है। चिकित्सालयों में आने वाली गर्भवती महिलाओं से प्रसव में नियम की तरह 3000+ की वसूली ,बाहर से दवाएं, तागा धागा,ग्लब्स आदि मांगने ,जांच के लिए कमीशन के लिए निश्चित पैथालाजी भेजना और सीएचसी में जांच में भी पैसे वसूलने का काम बेखौफ जारी है।
राज्य कमेटी सदस्य अंजू कटियार ने कहा कि जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरिसमेंट कहीं भी अस्तित्व में नही है, उस सम्बंध में भी सब जुबानी जमा खर्च तक रह गया। प्रदेश में प्रभारी , चिकित्साधिकारी , बीसीपीएम और अन्य पुरुष कर्मी किस तरह से आशा कर्मियो का जीवन मुश्किल बना रहे हैं। अर्चना रावत ने कहा कि वर्षो से लम्बित मांगो को सरकार लगातार अनसुना कर रही है। राज्य कर्मी के दर्जे व न्यूनतम वेतन के दायरे में लाने की 45 वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिसें धूल खा रही है, और हमारे श्रम की बेशर्मी से लूट की जा रही है। इसके विरुद्ध हमे पूरी ताकत से लड़ाई में उतरना होगा।
बाद में सर्व सम्मति से 26 सितम्बर को राजधानी मार्च का निर्णय लिया गया। बैठक में 45 वे श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करने , पिछले बकाया और हेर फेर कर बेनामी खातों में स्थानांतरित कर लिए गए परिश्रमिक का भुगतान किए जाने , आशा कर्मियों से नियमित वसूली पर रोक लगाने की मांग सम्बन्धी प्रस्ताव पारित किए गए। वही अकबर नगर को उजाड़े जाने के के लिए सरकार की तीखी निंदा करते हुए सभी उजाड़े गए परिवारों का पुनर्वास किए जाने ,तथा हाथरस में हादसे में जान गंवाने वाले सभी के परिजनों को 20 लाख का मुआवजा दिए जाने का प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई। रेखा मौर्या, अर्चना दीक्षित , मीरा प्रजापति , अनिल वर्मा ,लखनऊ भाकपा ( माले) सचिव रमेश सेंगर, ऐक्टू जिला सचिव काम. मधुसूदन मगन,मिड डे वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला गौतम ने भी अपने विचार रखे।