जसम लखनऊ का सम्मेलन: असगर मेहदी अध्यक्ष, शैलेश पंडित कार्यकारी अध्यक्ष तथा फरजाना महदी सचिव चुने गए

Update: 2025-02-10 17:54 GMT
Lucknow। उर्दू लेखक, इतिहासकार तथा 'तज़किरा' के संपादक असग़र मेहदी जन संस्कृति मंच (जसम) लखनऊ के अध्यक्ष होंगे । वहीं, कवि, कथाकार व उपन्यासकार शैलेश पंडित कार्यकारी अध्यक्ष तथा कथाकार व 'तज़किरा' के संपादक फरजाना महदी सचिव चुने गए। जसम की लखनऊ इकाई का सम्मेलन सी बी सिंह सभागार, हजरतगंज में सम्पन्न हुआ। इसमें नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। 17 सदस्यीय कार्यकारिणी में 6 स्त्री रचनाकार शामिल हैं।
सम्मेलन की शुरुआत मार्क्सवादी बुद्धिजीवी आर के सिन्हा तथा बिछुड़ गए साथियों को याद करते हुए हुई। भगवान स्वरूप कटियार ने आर के सिन्हा की याद में लिखी अपनी कविता सुनाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता असग़र मेहदी ने की तथा संचालन फरजाना महदी ने किया।
किसान नेता शिवाजी राय विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने फासिस्ट दौर में किसानों-मजदूरों व आम जन पर बढ़ते हमले और तंत्र की आक्रामकता की चर्चा की। उनका कहना था मोदी हो या ट्रंप इनकी एक ही राह है। किसानों के संघर्ष से तीन कृषि कानून वापस हुए। अडानी-अंबानी जैसी कंपनियों के हित में उसे फिर से लाने की कोशिश हो रही है। देश आज कंपनी राज में बदल चुका है। ऐसे में कलमकारों व बुद्धिजीवियों की भूमिक बढ़ गई है। साहित्य जनचेतना का वाहक होता है। प्रतिरोध की आवाज़ पर हमले हो रहे हैं। उन्हें भी दमन का शिकार बनाया गया है। जीएन साईंबाबा और स्टेन स्वामी इसके उदाहरण हैं।
सचिव फरजाना महदी ने दो साल के कामकाज की रिपोर्ट रखी। इसमें बीते दो साल के कामकाज के ब्योरे के साथ आज का सांस्कृतिक परिदृश्य कैसा है, का भी संदर्भ आया। उन आत्मगत समस्याओं पर भी बात आई। रिपोर्ट पर अच्छी बहस हुई। शैलेश पंडित, भगवान स्वरूप कटियार, नगीना निशा, शांतम निधि, सत्य प्रकाश चौधरी, रोहिणी जान, रामायण प्रकाश, ए. शर्मा आदि ने अपने विचार रखे। अनेक महत्वपूर्ण सुझाव आए। सभी वक्ताओं ने सांस्कृतिक हस्तक्षेप के महत्व को रेखांकित करते कई योजनाएँ पेश कीं ताकि देश फ़ासीवाद के दंश का मुक़ाबला कर सके।
इस मौके पर जसम उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष और कवि कौशल किशोर ने कहा की कविता, कहानी या कोई भी सृजन वैचारिक आंदोलन की ही अभिव्यक्ति है। हमने तमाम जन मुद्दों को अपने सांस्कृतिक आंदोलन के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है और संयुक्त कार्रवाई के रूप में पहल ली है। जन सांस्कृतिक आंदोलन को व्यापक बनाने की जरूरत है। जनता का साहित्य जनता के लिए साहित्य हो यह आज भी समस्या है। जनवादी संगठनों के लिए परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। लखनऊ शहर में ही किसी कार्यक्रम का आयोजन करना आसान नहीं है। विचार ही अपराध हो गया है। लेकिन इसी में राह निकालनी है। कौशल किशोर ने अपनी बात का समापन मुक्तिबोध की इन पंक्तियों से की 'कोशिश करो /कोशिश करो /जीने की /जमीन में गड़कर भी'।
जसम की नई कार्यकारिणी में छः उपाध्यक्ष इस प्रकार हैं: तस्वीर नक़वी, विमल किशोर, सईदा सायरा, अशोक श्रीवास्तव, धर्मेन्द्र कुमार और सत्य प्रकाश चौधरी। पांच सह सचिव हैं: डॉ अवन्तिका सिंह, मुहम्मद कलीम इक़बाल, शांतम निधि, राकेश कुमार सैनी और ए. शर्मा। नगीना निशा, रोहिणी जान व मधुसूदन मगन कार्यकारिणी सदस्य हैं। जसम के वरिष्ठ साहित्यकारों को लेकर सलाहकार समिति बनाई गई है। उसमें कौशल किशोर, भगवान स्वरूप कटियार, चन्द्रेश्वर और अशोक चंद्र शामिल हैं। रामायण प्रकाश और शिवाजी राय विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष असगर मेहदी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। ए. शर्मा के गायन से सम्मेलन का समापन हुआ। इस अवसर पर नागरिक परिषद के के के शुक्ला तथा वीरेंद्र त्रिपाठी एडवोकेट भी मौजूद थे। इन्होंने सम्मेलन को अपनी शुभकामनाएं दीं।
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