नेपाल से छोड़े गए पानी से सरयू नदी उफान पर, बाराबंकी में बाढ़ जैसे हालात, कई गांवों में घुसा पानी

बाराबंकी में बरसात के बीच नेपाल ने 3.25 लाख क्यूसेक पानी सरयू नदी में छोड़ दिया है।

Update: 2022-08-07 04:21 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बाराबंकी में बरसात के बीच नेपाल ने 3.25 लाख क्यूसेक पानी सरयू नदी में छोड़ दिया है। जिससे नदी का जलस्तर अचानक से बढ़कर खतरे के निशान से 30 सेमी. ऊपर पहुंच गया। जिससे बाढ़ क्षेत्र के कई गांवों में नदी का पानी घुस गया। बाढ़ से सहमे तराई वासियों में कुछ लोगों ने पलायन शुरू कर दिया तो कुछ लोगों ने घरों में सामान सुरक्षित कर घर की छतों पर डेरा डाल लिया है। अभी तक बाढ़ पीड़ितों तक कोई मदद जिला प्रशासन पहुंचा नही सका है।

शनिवार को एसडीएम प्रिया सिंह सुबह 9 बजे कहारन पुरवा, तेलवारी, गोबरहा, कोठरी, गौरिया व इटहुवा पूरब आदि गांवों में बाढ की स्थिति को देख कर राजस्व कर्मियों को आवाश्यक दिशा निर्देश दिए। बाढ खण्ड के अधिशासी अभियन्ता शशिकांत सिंह धनंजय तिवारी राहुल नारायण आदि के साथ गोबरहा तेलवारी गांवों में करवाए जा रहे अनुरक्षण कार्यो को तेज करने के निर्देश दिए हैं। वहीं सरयू नदी की बाढ का पानी नदी की दांती के भीतर ही बह रहा है। कुर्मिन टेपरा व पासिन टेपरा गांवों के निचले भाग के घरों के पास पानी पंहुचा है। ग्राम पासिंन टेपरा के अंगनू रावत का कहना है इस सीजन में तीसरी बार बाढ का पानी बढा है। प्रशासन ने हम लोगों को अब तक लाइट की कोई व्यवस्था नहीं कराई।
कुर्मिन टेपरा की रेखा देवी कहती है सरयू नदी के पानी में विषैले जीव जन्तुओ से हम लोगों के परिवारों को खतरा बना रहता है। बांध के भीतर बसे कई गांवों में विजली नही है।
रामसनेहीघाट संवाद के अनुसार: शुक्रवार की रात से सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से तहसील क्षेत्र के दो दर्जन गांव पर बाढ़ का संकट मंडराने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है।
विदित हो कि तहसील क्षेत्र के असवा, लीलार, ढेमा, किटूली, बांसगांव, बसंतपुर पतरा सिकरी जीवल, रानीमऊ, हाता,पसारा, बेलखरा, मंगरौडा, खेतासराय, चिर्रा खजूरी सहित करीब दो दर्जन गांव प्रतिवर्ष सरयू नदी की बाढ़ की चपेट में आते हैं। सरयू नदी की बाढ़ से 3 गांव की हजारों बीघे भूमि प्रतिवर्ष बाढ़ की चपेट में आ जाती है। शुक्रवार तक जहां नदी का जलस्तर कम हो रहा था थोड़ी देर रात से अचानक बढ़ाना शुरू हो गया। नदी के तेज गति से बढ़ने के कारण नदी के किनारे बसे गांव में हड़कंप मचा हुआ है। रानीमऊ तटबंध से थोड़ी दूर स्थित सिमरी गांव के बाहर पानी भरना शुरू हो गया है। गांव वासी बताते हैं कि अगर देर रात तक इसी प्रकार पानी बढ़ता रहा तो गांव के निचले हिस्से में पानी भर जाएगा। गांव के निचले हिस्से में बसे लोग शनिवार को अपनी घर गिरस्ती समेटते दिखे। ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिवर्ष बाढ़ से उनका काफी नुकसान होता है लेकिन इसके लिए प्रशासन केवल दो-चार दिन पूडी बाट कर खानापूर्ति कर देता है इन लोगों ने बाढ़ से अस्थाई समाधान कराए जाने की मांग की है।
सिमरी गांव चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है। यहां के लोगों को गांव से बाहर निकलने के लिए बंधे के निकट लकड़ी के पुल का सहारा लेना पड़ता है। अगर जरा भी चूक जाए तो नाले में गिरे लेकिन कई बार मांग के बावजूद अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका है। सिमरी गांव निवासी 75 वर्षीय देव बक्श सिंह बताते हैं कि भैया हमारा गांव तो नदी के छोर पर ही बसा हुआ है। तटबंध से नदी की ओर होने के कारण हर बार गांव में भारी तबाही होती है लेकिन कोई हमें बचाने वाला नहीं है।
विजय सिंह कहते हैं कि तटबंध से अंदर आने के लिए नदी के नाले पर हम ग्रामीण खुद लकड़ी का पुल बनाकर बाहर बाजार हाट जाते हैं। सरकार ने तटबंध बनाते समय ना तो नाले पर पुल का निर्माण कराया और ना ही गांव को तटबंध के बाहर ही किया गया जिससे हर बार जरा सी बाढ़ आते ही आधे गांव में पानी भर जाता है।
हरी रावत कहते हैं कि बाढ़ के समय हम लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत रोटी की होती है। राशन होते हुए भी रोटी कैसे बनाएं घर में गैस चूल्हा है नहीं लकड़ी भी मिलती नहीं इसलिए हम लोगों को रोटी के लिए तरसना पड़ता है। शिव किशोर तिवारी बताते हैं कि अभी तक कोई अधिकारी हम लोगों के गांव निरीक्षण करने तक नहीं आया है। एक दिन मंत्री के साथ सभी लोग दिखाई पड़े थे विधायक ने सभी अधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट रहकर बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के निर्देश दिए थे लेकिन उनके जाने के बाद सभी नदारद हो गए।
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