Lucknow: समाजवादी पार्टी ने UP Assembly उपचुनाव को लेकर किया बड़ा दावा

लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को क्या नुकसान हुआ था

Update: 2024-07-08 09:03 GMT

लखनऊ: यूपी में लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद बीजेपी अब थोड़ी बेहतर दिख रही है. पुरानी कहावत है कि दूध का फूंका भी फूंककर पीता है। लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को क्या नुकसान हुआ? आलाकमान इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता. इसलिए अब से योगी कैबिनेट के 15 मंत्रियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. चुनावी मोड में आ चुकी बीजेपी अचानक उपचुनाव को लेकर इतनी आक्रामक क्यों हो गई है? आइए जानते हैं सभी 10 सीटों के समीकरण और बीजेपी की रणनीति.

सीएम योगी ने अब उपचुनाव की कमान संभाल ली है. सीएम योगी प्रत्याशियों के चयन से लेकर चुनाव की रणनीति में भी काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं. आपको बता दें कि राज्य में कराहल, मिल्कीपुर, कुंदरकी, खैर मीरापुर, फूलपुर, सीसामऊ, मझवा, गाजियाबाद सीटों पर उपचुनाव होंगे. इस सीट से अखिलेश यादव खुद विधायक थे, अब वह कन्नौज से सांसद भी चुने गये हैं. इस सीट पर सपा की जीत तय मानी जा रही है. अखिलेश यादव अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को लड़ाने की तैयारी में हैं.

मिल्कीपुर-अयोध्या की इस सीट से अवधेश प्रसाद विधायक थे. अवधेश प्रसाद 9 बार विधायक रह चुके हैं. बीजेपी इस सीट को जीतकर अवधेश प्रसाद की जीत का जवाब देना चाहेगी. इस सीट पर सपा की जीत तय मानी जा रही है. सपा यहां से उनके बेटे अजित प्रसाद को टिकट दे सकती है.

सीसामऊ-कानपुर की यह सीट सपा विधायक इरफान अंसारी को दोषी ठहराए जाने के बाद खाली हुई है. इस सीट पर भी सपा की जीत तय मानी जा रही है. यहां से पार्टी अंसारी परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है.

कुंदरकी- कुंदरकी सीट भौगोलिक दृष्टि से मुरादाबाद जिले में आती है. मुस्लिम बहुल होने के कारण इस सीट पर सपा का काफी प्रभाव है. इस सीट पर भी बीजेपी का जीतना मुश्किल है.

कटहरी- यह सीट अंबेडकर नगर जिले में आती है. लालजी वर्मा यहां से सपा विधायक थे लेकिन इस बार वह अंबेडकर नगर से सपा सांसद चुने गये हैं. लालजी वर्मा यहां से अपनी बेटी छाया वर्मा को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. ये सीट भी बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों में से एक है.

फूलपुर- इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी ने यहां से विधायक रहे प्रवीण पटेल को फूलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. ऐसे में उन्होंने ये सीट तो जीत ली लेकिन अपनी ही विधानसभा में हार गए. हालांकि, यहां से बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है.

मीरापुर- इस सीट पर रालोद के चंदन चौहान ने जीत हासिल की. लेकिन लोकसभा चुनाव में रालोद ने उन्हें बिजनौर से चुनाव लड़वाया और जीत हासिल की. ऐसे में बीजेपी के लिए इस मुस्लिम बहुल सीट को जीतना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. आपको बता दें कि इन 10 सीटों में से 5 सीटों पर सपा का कब्जा है, 3 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. इनमें गाजियाबाद शहर, खैर और फूलपुर शामिल हैं। वहीं मझवा सीट पर निषाद पार्टी और मीरापुर सीट पर जयंत का कब्जा है.

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