गोरखपुर में सिर्फ लच्छीपुर वार्ड का आरक्षण बदला महापौर की सीट सामान्य होने से हलचल बढ़ी

Update: 2023-04-03 06:19 GMT

गोरखपुर न्यूज़: महापौर के आरक्षण के साथ ही नगर निगम के 80 वार्डों को लेकर भी देर रात नोटिफिकेशन जारी हो गया है. पूर्व में जारी आरक्षण सूची में एक बदलाव हुआ है. लच्छीपुर वार्ड पूर्व में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था, नई सूची में यह महिला के लिए आरक्षित हो गया है. शेष 79 वार्डों के आरक्षण में कोई बदलाव नहीं हुआ है. डीएम कार्यालय में आपत्ति दाखिल करने के लिए सात दिन का मौका दिया गया है.

नई आरक्षण सूची के मुताबिक सामान्य के लिए 34, महिला के लिए 18, पिछड़ा वर्ग के लिए 14 और पिछड़ा वर्ग महिला के लिए सात वार्ड आरक्षित किए गए हैं. इसी तरह अनुसूचित जाति के लिए चार और अनुसूचित जाति महिला के लिए तीन वार्ड आरक्षित हैं. आरक्षण सूची जारी होने के साथ ही दावेदार सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए हैं. कई दिग्गजों को पत्नी, मॉ या महिला सदस्यों को आगे कर मैदान में आना पड़ सकता है. वहीं कई वार्डों में नये चेहरों के आने की संभावना बढ़ गई है.

अटकलों के बीच महापौर सीट के आरक्षण को लेकर विराम लग गया है. गोरखपुर नगर निगम में महापौर सीट का आरक्षण पहली बार सामान्य होगा. आरक्षण को लेकर तस्वीर साफ होने के बाद राजनीतिक दलों की हलचल तेज हो गई है. सभी प्रमुख दलों के दावेदार सक्रिय हो गए हैं.

दिसम्बर में भी महापौर को लेकर आरक्षण जारी हुआ तो गोरखपुर की सीट सामान्य ही थी. जिसके बाद सभी दलों में सक्रियता बढ़ी थी. एक बार फिर आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सक्रियता बढ़ गई है. वर्ष 1994 में नगर निगम के गठन के बाद से मेयर की सीट तीन बार अन्य पिछड़ा वर्ग, एक बार अन्य पिछड़ा वर्ग महिला और एक बार सामान्य महिला के लिए आरक्षित रही है. एक बार को छोड़कर हर बार मेयर पद पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा रहा है. एक बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी मेयर बनीं थीं. हालांकि, तब भी यह सीट आरक्षित थी. उन्होंने मेयर का पद जीतकर प्रदेश में किसी नगर निगम में ट्रांसजेंडर के मेयर बनने का रिकार्ड बनाया था. 12 फरवरी 1989 से 22 फरवरी 1994 तक पवन बथवाल नगर प्रमुख थे. उन्हीं के कार्यकाल में नगर महा पालिका से नगर निगम वजूद में आया था. पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर भाजपा के राजेंद्र शर्मा पहले मेयर बने थे. साल 2000 में पहली बार ट्रांसजेंडर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी चुनाव जीतकर मेयर बनीं. तब यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित था. साल 2006 के चुनाव में मेयर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा से अंजू चौधरी मेयर चुनी गईं. 2012 के चुनाव में मेयर की सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हुई. जहां भाजपा से सत्या पांडेय मेयर निर्वाचित हुईं. 2017 में मेयर की सीट फिर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा के टिकट पर सीताराम जायसवाल मेयर बने.

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