अगर थानेदार गंभीर होते तो नहीं लगती कमिश्नरेट पर ऐसी भीड़

Update: 2022-12-16 10:30 GMT

आगरा न्यूज़: सिर में पट्टी बंधी थी. बेटे के हाथ में प्लास्टर चढ़ा था. यह हालत देख कोई भी बता सकता था कि मारपीट हुई है. पीड़ित ने बताया कि साहब पिछले महीने मारपीट हुई थी. पुलिस ने मेडिकल कराया मगर मुकदमा नहीं लिखा. यह देख पुलिस आयुक्त डॉक्टर प्रीतिंदर सिंह हैरान रह गए. इंस्पेक्टर फतेहाबाद को फटकार लगाई. मुकदमे के आदेश दिए. यह सिर्फ एक मामला है. पुलिस आयुक्त कार्यालय में प्रतिदिन ऐसे दर्जनों पीड़ित आते हैं. चंद ही ऐसे होते हैं जो सीधे शिकायत लेकर आते हैं. ज्यादातर ऐसे होते हैं जो पहले थाने गए थे. वहां सुनवाई नहीं हुई. पुलिसिंग में सुधार के लिए अधिकारी निरंतर प्रयासरत हैं. हालात यह है कि पीड़ित थाने जाने से पहले सिफारिश कराना चाहता है. उसे यही लगता है कि थाने में सुनवाई नहीं होगी.

पूर्वाह्न करीब साढ़े ग्यारह बजे का समय था. पुलिस आयुक्त कार्यालय में पैर रखने की जगह नहीं थी. एक दर्जन पीड़ित अंदर कमरे में मौजूद थे. 15 से 20 पीड़ित दरवाजे पर लाइन लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे. एक दर्जन से अधिक लोग कुर्सियों पर बैठे थे. करीब दो दर्जन से अधिक लोग कार्यालय के बाहर खड़े थे. पुलिस कर्मी एक-एक करके पीड़ितों को पेश करा रहे थे. ज्यादातर शिकायतें थाना स्तर पर शिकायत को नजरंदाज करने जैसी थीं.

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