श्रीबांकेबिहारी मंदिर में रंगों की होली आज से, फिजाओं में महकेगी केसर की खुशबू
जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी महाराज आज रंगभरनी एकादशी से जगमोहन में स्वेत पोशाक धारण कर, रजत सिंहासन पर विराजित होकर भक्तों संग होली खेलेंगे। इस
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी महाराज आज रंगभरनी एकादशी से जगमोहन में स्वेत पोशाक धारण कर, रजत सिंहासन पर विराजित होकर भक्तों संग होली खेलेंगे। इस परंपरा के बाद मंदिर में रंग वाली होली का शुभारंभ हो जाएगा। मंदिर के सेवायत आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार रंगभरनी एकादशी पर श्रीबांकेबिहारी के लिए शुद्ध केसर का रंग बनाया जाता है। सेवायत सबसे पहले स्वर्ण रजत निर्मित पिचकारी से स्वेत वस्त्र धारण किए हुए ठाकुरजी के ऊपर रंग डालते हैं, इसके बाद होली का परंपरागत शुभारंभ होता है। उन्होंने बताया कि मंदिर में टेसू के रंगों के साथ-साथ चोवा, चंदन के अलावा अबीर गुलाल से होली खेली जाती है।
आचार्य प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि यह होली रंगभरनी एकादशी से शुरू होकर पूर्णिमा की शाम तक होती है। मंदिर सेवायत रघु गोस्वामी ने बताया कि धूलैड़ी वाले दिन ठाकुरजी भक्तों पर रंग नहीं डालते, बल्कि स्वर्ण सिंघासन पर गुलाबी पोशाक पहनकर राजा बनकर बैठते हैं और अपने भक्तों को होली खेलते देखते हैं। इसी दिन सुबह मंदिर के सेवायतों के द्वारा क्षेत्र में चौपाई (भ्रमण) निकाली जाती है। समाज गायन के साथ बधाई गीत होते हैं।
ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर के साथ ही राधावल्लभ, राधादामोदर, राधाश्याम सुंदर, राधारमण मंदिर, राधा गोपीनाथ, राधासेनह बिहारी, मदन मोहन मंदिर, यशोदानंदन धाम, गोदाहरिदेव दिव्य देश आदि मंदिरों में टेसू के रंगों का प्रयोग होगा।
होली पर्व के दौरान ठाकुरजी को चाट, जलेबी, ठंडाई का विशेष भोग अवश्य लगाया जाता है। इसके अलावा पकौड़ी, दालपकौड़ी, दहीबड़ा, गुजिया, सोंठ बड़ा गुजिया, पानी की टिकिया, सोंठ-दही-चटनी की टिकिया, खाजा, समोसा, आलूगोला आदि बिहारीजी को अर्पित किए जाते हैं। इनके संग केसर, बादाम, काजू, पिस्ता, पोस्त, खरबूजाबीज, सौंफ, कालीमिर्च, गुलकंद, दूध मिश्रित ठंडाई भगवान को भोग धराई जाती है।
रंगभरनी एकादशी पर्व पर प्रतिवर्ष राधावल्लभ मंदिर से निकाली जाने वाली परंपरागत प्रिया-प्रियतम की रंगीली होली शोभायात्रा मंदिर से 14 मार्च को अपराह्न एक बजे से प्रारंभ होगी। शोभायात्रा में प्रिया प्रियतम के सुसज्जित रथ पर सवार होकर भक्तों संग होली खेलने के लिए नगर का भ्रमण करेंगे। शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई मंदिर प्रांगण में आकर समाप्त होगी।