कानपुर: दिल की गंभीर समस्या होने पर मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के साथ ही रोबोटिक सर्जरी शुरू हो गई है। इसमें बहुत छोटा सा चीरा लगाकर पेसमेकर, छल्ले डालने के साथ ही वॉल्व बदला जाता है। देश के कई बड़े शहरों में इसको किया जा रहा है। यह जानकारी डॉ. राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस रांची के हार्ट सर्जन प्रो. विनीत महाजन ने दी।
वह शनिवार को कार्डियोलॉजी और कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के वार्षिक सेमिनार कार्डिकॉन 2023 के आयोजन के बाद प्रेसवार्ता में बोल रहें थे। उन्होंने बताया कि रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से बाईपास सर्जरी की जा रही है। मरीज जल्द ही घर चले जा रहे हैं। पहले ओपर हार्ट सर्जरी में मरीज को कई दिनों तक अस्पताल में ही रूकना पड़ता था। कोरोना संक्रमण के बाद मरीजों के दिल की कार्यक्षमता में बदलावा आया है। उनका खून गाढ़ा हो गया है, जिसकी वजह से नसों में खून का बहाव कम हो रहा है। नतीजतन एक्सरसाइज, नाचने, दौड़ने या जिम जाने पर हार्ट अटैक या फिर हार्ट ब्लॉकेज की समस्या हो रही है।
वर्कआउट करें, मगर आहिस्ता आहिस्ता
हार्ट सर्जन डॉ.प्रकाश कुमार ने बताया कि स्कूल से ही बच्चों में तनाव का स्तर काफी ज्यादा बढ़ता जा रहा है। दूसरा उनकी लाइफ स्टाइल बिगड़ गई है। सेहतमंद खाने की बजाय बाहर के फास्ट फूड को अधिक व पसंद कर रहे हैं। सबसे खास बात है कि बच्चे किसी तरह की शारीरिक मेहनत नहीं कर रहे हैं। यही बच्चे बढ़े होकर जिम में काफी वर्कआउट करते हैं। इसकी के चलते हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
कावासाकी जैसे मिल रहे हैं लक्षण
मुंबई से आए पीडिएट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. श्रीनिवास एल ने बताया कि कोरोना की चपेट में आने से बच्चों के दिल की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। उनमें मल्टी इनफ्लेमैट्री सिंड्रोन इन चिल्ड्रन हो रहा है, जिसके लक्षण जापान में होने वाली कावासाकी बीमारी की तरह होते हैं। बच्चों की जीम, आंखें लाख और दिल की नसों में सूजन आ जाती है।
हर बच्चे में ऑपरेशन जरूरी नहीं
फरीदाबाद में अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस डॉ. राधाकृष्ण ने बताया कि बच्चों में दिल का छेद समेत अन्य समस्याएं काफी बढ़ गई हैं। सभी मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। केवल दवाओं के इस्तेमाल से समस्या सही हो जाती है। बच्चों में ज्यादातर दिल के छेद की समस्या होती है।
इलाज के लिए नए शोध हुए प्रस्तुत
हृदय रोग से संबंधित नई तकनीकों पर देश भर से आये हुए विशेषज्ञों ने विचार प्रस्तुत किए। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के सीनियर प्रोफेसर डॉ. सत्येन्द्र तिवारी ने डॉ. एससी जैन व्याख्यान में हृदय रोगों और उसके उपचार में एक चिकित्सक की भूमिका पर अपने विचार रखे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के डॉ. एमयू रब्बानी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में हार्ट फेल्यर पर चर्चा की।सम्मेलन में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. आरपीएस भारद्वाज को नवाज़ा गया। सम्मेलन में आये हुए प्रतिभागियों का डॉ. एसके सिन्हा, डॉ.अवधेश शर्मा, डॉ.एमएम रजी ने स्वागत किया। निदेशक डॉ. विनय कृष्ण, विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी डॉ. रमेश ठाकुर, विभागाध्यक्ष कार्डियक सर्जरी डॉ.राकेश वर्मा, डॉ. उमेश्वर पांडेय ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। रविवार को भी सम्मेलन में कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाएगी।