Gaziabad: शेयरों में निवेश से कमाई के नाम पर 152 लोगों से 48 करोड़ की ठगी

साइबर जालसाज इन दिनों सबसे अधिक ठगी कर रहे

Update: 2024-09-21 10:13 GMT

गाजियाबाद: शेयरों में निवेश से कमाई का झांसा देकर साइबर जालसाज इन दिनों सबसे अधिक ठगी कर रहे हैं. साइबर क्राइम थाना बनने के बाद सात महीने में 152 लोगों से 48 करोड़ ठगी हो चुकी है.

गाजियाबाद कमिश्नरेट के साइबर क्राइम थाने में 27 जनवरी 2024 से मुकदमे दर्ज होने शुरू हुए थे. साइबर क्राइम थाने का पहला मुकदमा शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का दर्ज हुआ. जालसाजों ने विजयनगर सेक्टर-नौ निवासी हिना अग्रवाल को पहले तो घर बैठे कमाई का झांसा दिया, फिर शेयरों में निवेश के नाम पर करीब 93 लाख रुपये की ठगी कर ली. इसके बाद से शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी का सिलसिला जारी है. साइबर क्राइम थाने के आंकड़े के मुताबिक सात महीने के भीतर जालसाज शेयर ट्रेडिंग के नाम पर 152 लोगों से 48 करोड़ रुपये ठग चुके हैं.

सोशल मीडिया पर लुभावने विज्ञापनों से फंसा रहे : पुलिस अधिकारियों के मुताबिक साइबर अपराधी लोगों को जाल में फंसाने के लिए सोशल मीडिया पर विज्ञापन पोस्ट करते हैं. इतना ही नहीं, कुछ विज्ञापनों में नामी हस्तियों की डीप-फेक वीडियो के जरिये प्रचार कराकर लोगों को आकर्षित करते हैं. मैसेज में दिए लिंक को क्लिक करते ही पीड़ित को व्हाट्सऐप और टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ लिया जाता है. ग्रुप में देश से लेकर विदेश तक के विशेषज्ञ लोगों को शेयर खरीदने के टिप्स देते हैं. साथ ही ग्रुप में शामिल जालसाज खुद के निवेश पर मोटी कमाई के मैसेज डालते हैं. पीड़ित जब भी पैसा निकालने का प्रयास करता है तो उस पर कोई न कोई नियम या शर्त बताकर और रकम भेजने का दबाव डाला जाता है.

पुलिस ने 28 जालसाज पकड़े: एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद का कहना है कि साइबर अपराधी ठगी के लिए बड़े पैमाने पर शेयर ट्रेडिंग का सहारा ले रहे. साइबर थाना पुलिस शेयर ट्रेडिंग के नाम पर ठगी करने वाले 11 गिरोह के 28 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा पीड़ितों के 9.80 करोड़ रुपये भी वापस कराए हैं. करोड़ों की रकम खातों में फ्रीज भी कराई गई है.

धोखाधड़ी से ऐसे बचें

● अनजान कॉल, ईमेल या मैसेज से सावधान रहें. गिफ्ट, लॉटरी, लोन या उच्च रिटर्न वाले निवेश का दावा करने वाले अनचाहे मैसेज, कॉल या लिंक पर प्रतिक्रिया न दें.

● ग्रुप में शेयर ट्रेडिंग से जुड़ी गतिविधि देखकर पंजीकरण नंबर मांगें और सेबी या संबंधित लाइसेंस प्लेटफॉर्म से उसे प्रमाणित करें. अपंजीकृत संस्थाओं के साथ लेनदेन न करें.

● किसी भी एपीके फाइल को डाउनलोड करने से बचें. जो ऐप गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर पर सूचीबद्ध नहीं हैं, उन्हें डाउनलोड करने से बचें.

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