पारिवारिक, सांसारिक व शारीरिक यातना का उन्मूलन श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से संभव: Acharya Sudama
Kushinagarराजापाकड़/कुशीनगर: संसार के हर व्यक्ति का जीवन पारिवारिक, सांसारिक व शारीरिक यातना से संतप्त है। जिसका उन्मूलन श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से ही संभव है। यह बातें वृन्दावन धाम से पधारे कथावाचक आचार्य सुदामा जी महाराज ने कही। वह तुलसी आवास विकास कालोनी फेज टू पडरौना के गोस्वामी तुलसीदास पार्क में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन मंगलवार की सायं श्रोताओं को वैणु वादन, रास का वर्णन, मथुरा गमन, कंस वध, गोपी उद्धव संवाद, जरासंध का आक्रमण, भगवान का रणछोर बनना, द्वरिकापुरी का निर्माण, रुक्मिणी हरण आदि प्रसंगों का वर्णन कर रहे थे। कथावाचक ने कहा कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की तो हम अक्सर सुनते आए हैं। कहानियां
मगर कृष्ण और राधा का कभी विवाह नहीं हुआ था। श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मिणी से हुआ था। रुक्मिणी ने कृ्ष्ण को कभी नहीं देखा था, फिर वह उन्हें बहुत चाहती थीं। जब रुक्मिणी का रिश्ता चेदिराज शिशुपाल से तय हुआ तो, श्रीकृष्ण ने उनका हरण करके उनसे विवाह कर लिया था। संगीतमई कथा में सुदेश मिश्र, विनय शर्मा व विनीत त्रिवेदी आदि कलाकारों ने संगीत पर संगत की। मुख्य यजमान दिवाकर मिश्र, मंजू मिश्र, सुप्रिय मालवीय, बृजेश कुमार मिश्र, आशुतोष मिश्र, मनोज कुमार पांडेय, कृष्ण मोहन मिश्र, सुनील कुमार मिश्र, आलोक कुमार मिश्र, पंकज कुमार मिश्र, नीलिमा, अवि, सूरज, अतुल, ऋद्धिमा, कौस्तुभ, परिणिति, पायल, संजय चौबे, तेज प्रताप सिंह आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।