नगर निगम के भ्रष्ट अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई का मामला, आरोप पत्र को दिया एक सप्ताह
मेरठ: सड़क घोटाले के मामले में शासन ने एक सप्ताह के भीतर आरोपी अभियंताओं के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर शासन ने रिपोर्ट मांगी थी। यह आरोप पत्र नगरायुक्त को तैयार करके शासन को भेजना था। इसके लिए शासन से एक सप्ताह का समय दिया गया था, लेकिन एक सप्ताह की बजाय 15 दिन बीत गए, मगर अभी तक आरोप पत्र तैयार नहीं किया गया है। ये आदेश नगर आयुक्त को दिए थे, लेकिन अभी तक इसमें कोई आरोप पत्र तैयार ही नहीं हुआ।
शासन को भी इसकी कोई प्रति अभी नहीं भेजी गई। महत्वपूर्ण बात यह है कि शासन स्तर पर नगर निगम के पांच अभियंताओं के खिलाफ 29 दिसंबर 2022 को आदेश हुआ था। अब इन आदेशों को 15 दिन बी गए हैं, लेकिन अभी तक आरोपी अभियंताओं के खिलाफ नगर आयुक्त ने आरोपपत्र क्यों तैयार नहीं किया, यह बड़ा सवाल हैं? इसकी शासन को रिपोर्ट भेजी जानी थी, जिसके बाद ही अपर आयुक्त प्रशासन मेरठ मंडल की तरफ से जांच पड़ताल आरंभ हो सकेगी।
लापरवाही तो देखिए कि शासन ने एक सप्ताह में आरोप पत्र तय कर रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए थे, लेकिन 15 दिन बाद भी आरोप पत्र तैयार नहीं हुआ है। महत्वपूर्ण बात यह है कि 29 दिसंबर 2022 को अभियंताओं के खिलाफ शासन ने कार्रवाई का आदेश दिया, जिसमें शासन स्तर से अभियंताओं के खिलाफ जो आदेश जारी किए गए
उसकी प्रति ईमेल से नगर निगम मेरठ आॅफिस को भेजी गई। यही नहीं, उसके बाद डाक भी शासन से जो भेजी गई वह नगर निगम के आॅफिस में प्राप्त हो गई, लेकिन इसके आरोप पत्र आरोपी अभियंताओं के खिलाफ तैयार क्यों नहीं किया जा रहा है? कहीं इन आरोपी अभियंताओं को बचाने की साजिश तो नहीं चल रही है?
ये था मामला: नगर निगम के वार्ड-35 गुप्ता कॉलोनी के सब्जी मंडी के गेट नंबर-2 से लेकर मुख्य मार्ग के किनारे स्थित जेके टायर हाउस की दुकान तक करीब 300 मीटर लंबी सड़क के निर्माण किया जाना था। इसके स्थान पर 600 लंबी सड़क का प्राक्कलन नगर निगम के अभियंताओं ने बनाकर तैयार कर दिया। इसका अनुमानित अंकन रुपये 2.28 करोड़ प्रस्तुत कर दिया गया था। इसमें अभियंताओं की संलिप्तता और अनियमितताओं का मामला सामने आया, जिसमें नगर निगम की एक जांच समिति गठित की गई, जिसमें जांच समिति ने प्रथम दृष्टया आरोपी अभियंताओं को पूरी तरह से घालमेल करने का दोषी ठहराया था। प्रथम दृष्टया इनके खिलाफ उत्तर प्रदेश पालिका केंद्रीय नियमावली 1966 को संशोधित के नियम 376 के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिये गए।
अपर आयुक्त करेंगे जांच: इसकी जांच अपर आयुक्त प्रशासन मेरठ मंडल महेन्द्र प्रसाद को सौंपी गई हैं। पांच अभियंताओं के खिलाफ जब शासन ने कार्रवाई कर दी है और इसका आरोप पत्र एक सप्ताह के भीतर शासन ने नगर आयुक्त डा. अमित पाल शर्मा से मांगा था, लेकिन उन्होंने इसको पेंडिंग में क्यों डाल दिया? यह भी जांच का विषय बनता हैं। यही वजह है कि 15 दिन बीतने के बाद भी अभी तक आरोपी पांचों अभियंताओं के खिलाफ आरोप पत्र तय नहीं किया गया, जिससे अभियंताओं को सीधे लाभ पहुंचाने की तो साजिश नहीं हो रही हैं। क्योंकि आरोपी अभियंताओं को अभी तक महत्वपूर्ण सीटों पर से नगरायुक्त ने तैनाती दे रखी हैं। जब ये आरोपी अभियंता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जांच में यह साबित हो चुका हैं, फिर इनको महत्वपूर्ण सीटों पर तैनात क्यों किया गया हैं? यह भी जांच होनी चाहिए। सीट से हटाने की कार्रवाई नगरायुक्त स्तर से हो जानी चाहिए थी, जो वर्तमान में नहीं हुई हैं।
केशव पर भी गिरी तबादले की गाज: शासन ने नगर निगम के भ्रष्टाचारियों का संज्ञान लेना शुरू कर दिया है। पहले पांच अभियंताओं पर कार्रवाई की गाज गिराई। अब हाउस टैक्स में जनता के साथ घालमेल करने वाले केशव प्रसाद कर निरीक्षक को तत्काल प्रभाव से मेरठ से अमरोहा तबादला कर दिया है। आरोप है कि कर निरीक्षक केशव प्रसाद बिना हस्ताक्षर वाले हाउस टैक्स बिल जनता को भेज देते थे, जिसके बाद जनता से लेन-देन का खेल किया जाता था। यह शिकायत शासन स्तर पर पहुंची थी।
आखिर शासन ने पांच अभियंताओं पर कार्रवाई करने के बाद हाउस टैक्स में घालमेल करने वाले केशव प्रसाद का संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से उनका तबादला अमरोहा में कर अधीक्षक के पद पर किया गया है। विशेष सचिव धर्मेंद्र प्रताप सिंह के जो आदेश नगर निगम को प्राप्त हुए हैं, उनमें स्पष्ट किया है कि केशव प्रसाद कर अधीक्षक का तबादला जनहित में तत्कालिक प्रभाव से किया गया है। साथ में यह भी कहा गया है कि कार्यभार ग्रहण करने के लिए स्वत ही कार्यमुक्त किया जाता है। आदेशों की अवहेलना अनुशासनहीनता के दारे में मानी जाएगी, यह चेतावनी भी पत्र में दी गई है।