हर चरण में सिर्फ एक हफ्ते के चुनाव प्रचार की छूट देने का विचार, निर्वाचन आयोग ने 30 जनवरी के बाद प्रचार की अनुमति दिए जा सकते हैं

कोरोना के बीच चुनाव सुरक्षित भी हो और उम्मीदवारों को जनता के बीच जाने का अवसर भी मिले, इसे लेकर मंथन तेज हो गया है। ऐसे में हर चरण में एक हफ्ते तक प्रचार की छूट देने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है।

Update: 2022-01-21 16:36 GMT

कोरोना के बीच चुनाव सुरक्षित भी हो और उम्मीदवारों को जनता के बीच जाने का अवसर भी मिले, इसे लेकर मंथन तेज हो गया है। ऐसे में हर चरण में एक हफ्ते तक प्रचार की छूट देने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। अगर सहमति बनी तो 22 जनवरी यानी शनिवार तक पांच राज्यों में लगे प्रतिबंध को जनवरी अंत तक बढ़ाया जा सकता है। उसके बाद पहले चरण के क्षेत्र में प्रचार की अनुमति दी जा सकती है।

यह छूट चरणवार दिया जाएगा ताकि एकबारगी पूरे प्रदेश में भीड़ न इकट्ठी होने लगे। आयोग ने स्थिति की समीक्षा के लिए शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय सहित राज्यों के स्वास्थ्य प्रमुखों व विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है जिसमें कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा होगी। कुछ राज्यों में कोरोना के मामले घट रहे हैं तो कई जगह बढ़ रहे हैं।
आयोग के सूत्रों के अनुसार उम्मीदवारों का हक है कि वह जनता तक जाए और अपनी बात रखे। उनको समझाए, उन्हें अपनी योजना बताए। लिहाजा अवसर तो देना ही होगा लेकिन सतर्कता जरूरी है। चूंकि यह विधानसभा चुनाव है इसलिए एक हफ्ते की छूट पर्याप्त हो सकती है।
पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को है और ऐसे में अगर एक फरवरी से भी उन्हें छूट मिले तो आठ फरवरी की शाम तक प्रचार कर सकते हैं। वैसे भी आयोग ने बंद कमरे में अधिकतम 300 लोगों की बैठक करने का छूट पहले दिन से दे रखी है लिहाजा छोटी बैठकें हो सकती हैं।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने रोड शो और रैलियों पर प्रतिबंध का ऐलान चुनावों की घोषणा के साथ ही कर दिया था। हालांकि उस समय यह प्रतिबंध सिर्फ 15 जनवरी तक के लिए था। लेकिन स्थिति की समीक्षा के बाद आयोग ने इसे 22 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया था। हालांकि जिन मानकों के आधार पर आयोग ने प्रतिबंधों को आगे बढ़ाया था, उनमें अभी कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा है।
बावजूद इसके राजनीतिक दलों की ओर से प्रचार की अनुमति देने को लेकर जिस तरह से दबाव बढ़ा हुआ है उसमें चुनाव आयोग के पास भी सीमित ही विकल्प बचते है। फिलहाल पिछले चुनावों में आयोग की इस मुद्दे पर जिस तरह से किरकिरी हुई है, उनमें अब आयोग किसी जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने के मूड में नहीं है।


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