नई पीढ़ी को एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने के लिए सरकार निरोगी राजस्थान अभियान चला रही है। उदयपुर का चिकित्सा विभाग इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा चिकित्सा विभाग की ओर से जारी जिला रैंकिंग से ही लगाया जा सकता है।
विभाग ने प्रदेश को 34 जिलों में बांट रखा है। इसमें उदयपुर को 32वीं रैंक मिली है। चौंकाने वाली बात यह है कि आदिवासी बहुल उदयपुर सहित दक्षिण राजस्थान में बच्चों में एनीमिया के लक्षण जन्मजात पाए जाते हैं। अब विभाग के जिम्मेदार सफाई दे रहे हंै कि उनका डाटा समय पर अपडेट नहीं हुआ, इसलिए वह दौड़ में पीछे रह गए। पहले स्थान पर जयपुर प्रथम और अंतिम स्थान पर डूंगरपुर है।
बता दें कि निरोगी राजस्थान अभियान में 0 से 6 साल तक के बच्चों को निप्पी (तरल दवा) और 6 से 18 साल के बच्चों को विप्स (टेबलेट) जैसी दवाएं खिलाने का प्रावधान है। छोटे बच्चों की जिम्मेदारी आईसीडीएस विभाग के आंगनबाड़ी केंद्रों की है तो बड़े बच्चों को स्कूल में दवा खिलाने का प्रावधान है।
हर मंगलवार को शक्ति दिवस : सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से बच्चों को इस रोग से बचाने के लिए हर मंगलवार को आंगनबाड़ी और शिक्षण संस्थानों में शक्ति दिवस मनाया जाता है। इस दिन डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के सहयोग से बच्चों के ब्लड सैंपल लिए जाते हैं, जो बच्चे रोग का शिकार होते हैं, उन्हें आयरन और कृमि नाशक गोलियां खिलाई जाती हैं। जब तक बच्चों का हीमोग्लोबिन स्तर नहीं सुधरता, ये प्रयास जारी रहते हैं।
उदयपुर न्यूज़