सरकार की मुकदमों में पैरवी के लिए किसी के नहीं आने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

मुख्य सचिव से उत्तर तलब किया

Update: 2024-03-15 07:44 GMT

जयपुर: राजस्थान उच्च न्यायालय ने गवर्नमेंट की मुकदमों में पैरवी के लिए किसी के नहीं आने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सचिव से उत्तर तलब किया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव से 8 हफ्ते में शपथ पत्र पेश करने को बोला है। जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश जयपुर नगर निगम से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई के समय निगम की ओर से कोई हाजिर नहीं होने पर यह आदेश दिया। न्यायालय ने बोला कि नोटिस तामील होने के बावजूद निगम से कोई नहीं आया और निगम गवर्नमेंट की परिभाषा में आती है

कोर्ट में यह मुद्दा करीब सात वर्ष पहले आया, जिसमें जयपुर महानगर के जिला कोर्ट की डिक्री के आदेश को चुनौती दी गई थी। मुद्दा उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा, जहां से उच्च न्यायालय को 28 फरवरी 23 से पहले निर्णय देने का आदेश हुआ। पिछले वर्ष इस मुद्दे में 21 फरवरी और 24 मार्च को कोई हाजिर नहीं हुआ और 11 मई को भी कोई हाजिर नहीं होने पर अंतत: मुद्दा खारिज हो गया। इसकी बहाली के लिए प्रार्थना पत्र पेश नहीं होने पर दूसरे पक्ष ने हाल ही अधीनस्थ कोर्ट द्वारा डिक्री में तय 1 करोड़ 23 लाख 21 हजार 611 रुपए मय ब्याज दिलाने का आग्रह किया गया। इस पर नगर निगम को नोटिस जारी किया गया और नोटिस निगम को मिल भी गया, लेकिन कोई हाजिर नहीं हुआ। न्यायालय ने इस स्थिति को लेकर टिप्पणी की कि लगता है मुकदमों की पैरवी को लेकर गवर्नमेंट की प्रबंध में खामी है। देखने में आया है कि गवर्नमेंट आए दिन अपील और रिवीजन करती है और कोई न आने से वे खारिज हो जाते हैं। इससे राज्य को हानि होता है, जिसके लिए सरकारी कर्मचारी और गवर्नमेंट चलाने वाले सियासी प्रतिनिधि उत्तरदायी हैं।

– इन मामलों में बहाली और दोषियों पर कार्रवाई को लेकर क्या हुआ

– मुद्दा खारिज होने से राज्य को कितना हानि हुआ

– इन मामलों के दोषियों के नाम और उन पर की गई कार्रवाई

– लाभान्वित होने वाली फर्मों के नाम।

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