श्रीरकिशोरी मोहनजी की कथित जमीन पर बनाया मोबाइल टॉवर

अफसरों की अनदेखी के कारण जांच में देरी का कारण बन गया

Update: 2024-05-16 07:01 GMT

भरतपुर: लोहागढ़ किला परिसर स्थित श्रीकिशोरी मोहनजी की कथित जमीन पर सूर्यविहार कॉलोनी विकसित करने का मामला अब अफसरों की अनदेखी के कारण जांच में देरी का कारण बन गया है। क्योंकि लंबे समय से अधिकारियों ने दस्तावेजों का अवलोकन नहीं किया है. इससे जांच कमेटी को दस्तावेज तलाशने में भी परेशानी हो रही है. गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 7 मई के अंक में पुण्यार्थ भूमि, फायदे का सौदा! शीर्षक से खबर प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया गया. इसके बाद 10 मई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी ने एक प्लॉट मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. कच्चा परकोटा पर अतिक्रमण को लेकर राजस्थान पत्रिका द्वारा 7 मई 2024 को प्रकाशित खबर के मामले में जिला प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की है. जिला कलक्टर डाॅ. अमित यादव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राजस्थान पत्रिका में 4 मई को प्रकाशित 'कच्चा परकोटा की डुपा के उत्खनन की छूट नियमावली' संबंधी नोटिस की जांच के लिए उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। 'किला परिसर में पुरातत्व सर्वेक्षण' को निर्देशित किया गया है कि कच्चा परकोटा पर अतिक्रमण और मंदिर निर्माण के संबंध में 7 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अब जांच कमेटी बने आठ दिन बीत चुके हैं. अभी तक कमेटी कुछ भी नहीं कर पाई है. हालांकि, समिति का यह भी मानना ​​है कि इस मामले में पहले काम कर रहे संबंधित विभागों के तत्कालीन अधिकारियों ने रिकॉर्ड रखने का काम नहीं किया. इसके चलते अब दस्तावेज तलाशने में दिक्कत आ रही है। इससे जांच में भी देरी हो रही है.

छह साल पहले नगर निगम ने एनओसी दे दी थी: यह मामला सामने आने के बाद भी वन विभाग कह रहा है कि उसकी जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं है. क्योंकि कोई शिकायत नहीं है. मंदिर विभाग का कहना है कि मंदिर की जमीन को कोई बेच नहीं सकता. नगर निगम के रिकार्ड में जमीन होने के बाद भी सभी अधिकारी अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि नगर निगम की हर बैठक में भू-माफियाओं द्वारा सरकारी जमीन बेचने का मुद्दा उठता रहा है. अब यह भी खुलासा हुआ है कि छह साल पहले एक प्लॉट मालिक ने निजी कंपनी का मोबाइल टावर लगाने के लिए नगर निगम से एनओसी मांगी थी। नगर निगम ने दोनों महंतों के बीच आपसी समझौते की कोर्ट डिग्री के आधार पर एनओसी जारी कर दी, लेकिन डिग्री का परीक्षण तब भी नहीं किया गया।

यह मामला कुछ विभागों के रिकॉर्ड में अटका हुआ है। कमेटी हर दस्तावेज को खंगालने में जुटी है. वर्तमान में कार्यरत किसी भी अधिकारी के कार्यालय में ऐसा नहीं हुआ है. ये मामला काफी समय से चल रहा था. मेरी सराहना के बाद मैंने स्वयं समिति का गठन किया है। हमारा उद्देश्य सरकारी जमीन को सुरक्षित करना है. ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन की इस तरह की धोखाधड़ी या रजिस्ट्री न कर सके. सभी विभाग जांच में सहयोग कर रहे हैं. इस कारण जांच में देरी हो रही है.

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