प्रतापगढ़ में निकाली गई कलश और पोथी यात्रा, भागवत कथा शुरू
कलश और पोथी यात्रा
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ विश्वकर्मा जांगिड़ सुथार समाज महिला मंडल की ओर से राज राजेश्वर मंदिर में भागवत कथा का आगाज मंगलवार से किया गया। इस मौके पर एमजी रोड स्थित रामकुंड से सुबह कलश यात्रा एवं पौथी यात्रा निकाली गई। बैंड-बाजे, ढोल नगाड़ों के साथ निकाली गई पौथी एवं कलश यात्रा में कई लोग शामिल हुए। पौथी यात्रा एवं कलश यात्रा का जगह-जगह स्वागत पुष्प वर्षा से किया गया। यात्रा एमजी रोड रामकुंड से चलकर सूरजपोल चौराहा, गोपालगंज, धमोतर दरवाजा होते हुए राजराजेश्वरी मंदिर आजाद चौक पहुंची। सुथार समाज के अध्यक्ष लाला सुथार ने बताया कथा का वाचक रामेश्वर शर्मा चित्तौड़ वाले ने किया। यहां कथा का आयोजन रोजाना सवा 12 बजे से 4 बजे तक चलेगी। जो 24 जुलाई तक चलेगी।
कथा का उद्देश्य संस्कृति बनी रहे, धर्म कायम रहे
विश्वकर्मा जांगिड़ सुथार समाज महिला मंडल की ओर से श्री राजराजेश्वरी मंदिर परिसर आजाद चौक में भागवत कथा का आयोजन जारी है। यहां कथा का वाचन रामेश्वर शर्मा चित्तौड़ कर रहे है। यहां आयोजित कथा के दूसरे दिन की कथा में विदुर मैत्री संवाद एवं पृथ्वी उद्धार व धू्रव चरित्र महाभारत के भीष्म पितामह द्वारा सती चरित्र कुंती की कथा का वाचन किया। उन्होंने मां और जननी में अंतर बताते हुए कहा कि जो जन्म देवें वही जननी होती है। जन्म देने के बाद अपने शिक्षा व संस्कार देवें वह मां कहलाती है। उन्होंने ओम नम: भगवते वासुदेवाय नम: का मंत्र दिया। 6 महीने कठोर तपस्या के बाद भगवान की गोद में बैठ कर के भगवान ने धू्रव से कहा कि अभी तुम्हें राज का सुख भोगना है। बुराई में भी अच्छाई व भलाई छुपी हुई है। आदर भाव प्रभु के दरबार में मिलता है, कोई भी अच्छा कार्य करो तो किसी को निचा दिखाकर मत करो। इंद्रियों को हमेशा नियंत्रण में रखो। इंद्रियों को मन के वश में रखो। मन रूपी खूंटे से मन को बांध दो। मन को प्रभु के चरणों में लगाओ तो जीवन का उद्धार हो जाएगा। मनुष्य का कर्म ही मनुष्य के साथ जाता है। समाजसेवी किशोर छाबड़ा ने बताया कथा का समय 12.15 बजे से शाम 4 बजे तक है।
अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के रामद्वारा में चल रहे चातुर्मास में धर्मकथा का आयोजन हो रहा है। यहां मचलाना घाटी गौशाला के संस्थापक रामजी राम महाराज ने प्रवचन ने कहा कि जैसे भोजन करने से भूख मिट जाती है, तृप्ति और पुष्टि शरीर की बन जाती है। ऐसे ही भगवत भजन करने से मन की शांति एवं निर्भयता जीवन में निर्मित हो जाती है। सभी प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। भगवतशरण आत्मा का ऐसा सुरक्षा माध्यम है, जहां परिवार नहीं पहुंच पाता। समाज नहीं पहुंच पाता, सरकार की सहायता नहीं पहुंच पाती, परमात्मा की मदद वहां पहुंचकर भक्तों की रक्षा करती है। भजन एक बड़ी पूंजी है। संकट में आप के काम आती है। कथा के पश्चात व्यास गादी की पूजा, आरती की गई। कथा का समय प्रतिदिन प्रात: 9.30 से 10.30 बजे तक का है। संध्या के समय 7.15 बजे संध्या आरती हो रही है।