Rajasthanराजस्थान: हाथरस सत्संग भगदड़ में सौ से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई। उत्तर प्रदेश सरकारGovernment ने मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है और जांच भी शुरू हो गई है, लेकिन सवाल यह है कि देश में इस तरह के होने वाले हादसों की जांच रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आती है। आज से करीब 16 साल पहले जोधपुर के मेहरानगढ़ में भी चैत्र नवरात्रि के दौरान इसी तरह की भगदड़ हुई थी, जिसमें 216 लोगों की जान चली गई थी। उस हादसे की जांच करने के लिए न्यायमूर्ति जसराज चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई। भाजपा हो या कांग्रेस की सरकार सब इसे दबा लेगी। बता दें कि तत्कालीन वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री ने न्यायमूर्ति जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में आयोग गठित किया था। आयोग ने पांच साल तक लगातार जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी।
न्यायमूर्ति चोपड़ा ने जब अपनी रिपोर्ट सरकार को दी तो मरने वालों के हवाले से कहा था कि जब मेरी रिपोर्ट सामने आएगी तो कई लोग बेनकाब हो जाएंगे, लेकिन सरकार की रिपोर्ट दब गई। सिर्फ रिपोर्ट में दी गई सिफारिश पर काम किया गया जैसे मेले या बड़े आयोजन में किस तरह की सुरक्षा की जाए, जबकि रिपोर्ट में 216 युवकों की मौत के जिम्मेदारियों के बारे में भी बताया गया था। इस बारे में पूर्वजों ने मौन साध लिया। मेहरानगढ़ हादसे में मरने वालों के रिश्तेदारों ने 16 साल बाद भी इस बात को लेकर संघर्ष किया है कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। इसी सप्ताह एडवोकेट ईश्वर चंद खंडेलवाल ने एक और याचिका लगाई है, जिसे मेहरानगढ़ दुखांतिका परिवार मंच द्वारा क्लब में याचिका लगाई गई है।
मंच के संयोजक एडवोकेट विजय राव ने बताया कि हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि वह रिपोर्ट सामने आए, लेकिन कोई भी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है, अब सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर की गई हैं। इस पर जुलाई के अंतिम सप्ताह में फैसला किया जा सकता है। विजय राव ने बताया कि हमने हर स्तर पर प्रयास किया, जिससे कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक हो सके, लेकिन सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की कोई भी नहीं चाहती कि रिपोर्ट सामने आए। रिपोर्ट में जस्टिस चोपड़ा ने हर उस आदमी को बेनकाब किया है, जो उस घटना के लिए जिम्मेदार था। यह बात उन्होंने हमें खुद जाती समय कही थी, लेकिन इंसानों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। 30 सितंबर 2008 को चैत्र नवरात्रि के दौरान जोधपुर के मेहरानगढ़ में चामुंडा मंदिरChamunda Temple के दर्शन करने के लिए सुबह करीब 5:00 बजे लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. मंदिर पहुंचने के लिए एक दुखद भाग से गुजरना होता है, जहां पर आगे बैरिकेड लगा हुआ था। भीड़ भागती हुई जा रही थी. बैरिकेड के कारण लोग आगे नहीं जा पाए और ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही के कारण 216 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में अधिकांश युवा थे।