Jaipur: राज्य सरकार बीआरटीएस कॉरिडोर पर जल्द लेगी निर्णय
कॉरिडोर को हटाने के संबंध में राज्य सरकार जल्द निर्णय लेगी
जयपुर: शहरी यातायात को सुविधाजनक बनाने के लिए मानसरोवर, सीकर रोड में बनाए गए बस रेपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) कॉरिडोर को हटाने के संबंध में राज्य सरकार जल्द निर्णय लेगी। इस संबंध में जेडीए ने केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) से इस संबंध में दो बार सर्वे करवाया है लेकिन राज्य सरकार से इस संबंध में दिशा निर्देश मिलने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा। शहरी यातायात को सुविधाजनक बनाने के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से वर्ष 2008 में बीआरटीएस कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया था लेकिन अभी तक इसका सार्वजनिक परिवहन में इसका सदुपयोग नहीं हो पाया। इसके बाद समय-समय पर इसको हटाने की मांग उठने लगी लेकिन राज्य सरकार इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले पाई। इस संबंध मे गत 6 मई माह में भी केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के चीफ साइंटिस्ट डॉ. एस वेलमुर्गन के नेतृत्व में अन्य सदस्यों ने बीआरटीएस कॉरिडोर का दौरा भी किया। गौरतलब है कि दिल्ली एवं भोपाल में भी बीआरटीएस हटाने से पूर्व भी इसी तरह स्टडी कराई थी और बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का निर्णय लिया था।
अध्ययन कराने का फैसला अचानक रोका
स्टेट रोड सेफ्टी काउंसिल ने जनवरी, 2020 में पहली बार कॉरिडोर को हटाने का फैसला किया था लेकिन इस फैसले की तब पालना नहीं की गई। जेडीए आयुक्त मंजू राजपाल की अध्यक्षता में 27 फरवरी को जेडीए ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक हुई थी। बैठक में राजधानी स्थित बीआरटीएस कोरिडोर का अध्ययन कराने का फैसला किया गया था। इस फैसले की पालना भी की गई, लेकिन इस पर ब्रेक लगा दिए।
170 करोड़ की लागत से बनाया था बीआरटीएस कॉरिडोर
बीआरटीएस कॉरिडोर से सार्वजनिक परिवहन सेवा की बसों का संचालन कर आमजन को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जेएनएनयूआरएम के तहत 170 करोड़ की लागत से वर्ष 2008 में करीब 16 किलोमीटर का बीआरटीएस कॉरिडोर न्यू सांगानेर एवं सीकर रोड पर बनाया गया था। इसमें न्यू सांगानेर रोड पर करीब 9 किमी एवं सीकर रोड पर 7.1 किमी लंबाई में कॉरिडोर बनाया था। वर्ष 2010 में जितना कोरिडोर बना था, उस पर बसों का संचालन शुरू किया गया लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग के अभाव में इस कॉरिडोर में शहरी परिवहन की बसों के साथ अन्य वाहन भी चलने लग गए, तो इसके निर्माण पर सवाल उठे थे। इसके बाद जनवरी 2020 में केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने कॉरिडोर हटाने का फैसला किया था, लेकिन इस पर आगे कार्रवाई नहीं हो पाई थी। अब दुबारा से कॉरिडोर का सर्वे करवाकर इस पर कार्रवाई की जाएगी।