Jaipur: दिगंबर जैन समाज के लोगों ने मनाया रोट तीज पर्व
जैन बंधुओं ने घर पर बनाई रोट-खीर
जयपुर: दिगंबर जैन धर्मावलंबियों ने रोट तीज श्रद्धापूर्वक मनाया। दिगंबर जैन श्रद्धालुओं ने मंदिरों में चौबीस तीर्थंकरों की 72 कोठियों की व्यवस्था कर तीन चौपाइयों की पूजा की। जैन बंधुओं ने घर पर बनाई रोट-खीर. राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महासचिव विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि मंदिरों में चौबीस तीर्थंकरों की पूजा कर तीनों कालों के 108 जाप "ओम ह्रीं भूत, वर्तमान भविष्य काल रहकें चतुर्विष्टि तीर्थंकरेव्यो नम:" का जाप किया गया। महिलाओं ने व्रत रखा। यह व्रत तीन वर्षों तक किया जाता है। पवित्रता के साथ रोट बनाने के बाद सबसे पहले मंदिरों में थाली में रोट, घी, बूरा, तुरई का रायता चढ़ाया गया। रोट तीज का व्रत करने से अक्षय निधि की प्राप्ति होती है।
रोट तीज की शुरूआत भट्टारक परम्परा से हुई। इसे त्रैलोक्य (त्रिलोक) तीज के नाम से भी जाना जाता है। रविवार 8 सितंबर से करोड़ी महापर्व शुरू होगा जो मंगलवार 17 सितंबर तक चलेगा। इन दस दिनों के दौरान दिगंबर जैन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा। जैन धर्मावलंबियों के अनुसार रविवार, 8 सितंबर को धर्म के लिए क्षमा के सर्वोत्तम प्रतीक के रूप में मनाया जाएगा। सुबह मंदिरों में क्षमा धर्म की पूजा होगी। शाम को प्रवचन में क्षमा धर्म की व्याख्या की जायेगी. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
जैन धर्म में धर्म के 10 लक्षण बताए गए हैं जिनमें उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य शामिल हैं। इन दस दिनों में सुबह से जैन मंदिरों में अभिषेक, शांतिधारा, सामूहिक पूजन, मुनिराज की विशेष प्रवचन श्रृंखला, श्रावक संस्कार साधना शिविर, महाआरती, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। भक्त अपनी क्षमता और आस्था के अनुसार तीन दिन, पांच दिन, आठ दिन, दस दिन, सोलह दिन, बत्तीस दिन सहित विभिन्न अवधियों तक उपवास करते हैं। जिसमें वे व्रत के दौरान केवल एक बार जल ग्रहण करते हैं।