जयपुर/दिल्ली न्यूज़ अपडेटेड: ऑपरेशन तलाश अभियान के तहत उत्तरी जिला के ऑपरेशन तलाश स्क्वाड टीम ने एक नाबालिग लडक़ी को 48 घंटे के अंदर जयपुर से बरामद किया है। इस मामले में उसके एक जानकार को भी हिरासत में लिया है। लडक़ी को और उसके जानकार शख्स को पुलिस जयपुर से दिल्ली ले आई है। पुलिस टीम ने सर्विलांस के माध्यम से लडक़ी की लोकेशन सर्च की और लडक़ी व उसके जानकार तक जा पहुंची।
मोबाइल जांच में पुलिस के रडॉर पर आया शख्स: डीसीपी नॉर्थ सागर सिंह कलसी ने बताया कि लडक़ी के परिवार के द्वारा 2 दिन पहले लडक़ी के गुम होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने अपहरण की धारा मे एफआईआर दर्ज कर लडक़ी के परिजनों से पूछताछ की और लडक़ी के मोबाइल की जांच की। पुलिस द्वारा की गई मोबाइल जांच में एक शख्स पुलिस के शक के दायरे में आया। लडक़ी शख्स से लगातार बात कर रही थी। जब उसके नंबर को पुलिस ने ट्रेक किया तो मोबाइल नंबर स्विच ऑफ मिला।
जयपुर में डोर टू डोर वेरिफिकेशन कर पता लगाया: पुलिस टीम तफ्तीश के दायरे को बढ़ाया तो पता चला की उस लडक़े की लोकेशन जयपुर में है। तुरंत एसआई विनोद वालिया, हेड कांस्टेबल आशीष, कांस्टेबल आशीष कुमार और लेडी कॉन्स्टेबल अंशु की टीम ने 48 घंटे तक इस मामले में छानबीन करती रही। जब पुलिस टीम जयपुर पहुंची तो वहां डोर टू डोर वेरिफिकेशन करके आखिरकार लडक़े के बारे में पता लगाया व लडक़े को पकड़ लिया गया। लडक़े पूछताछ कर लडक़ी को भी जयपुर से बरामद कर लिया गया।
120 दिनों में 152 गुमशुदा की हुई तलाश: डीसीपी नार्थ ने बताया कि गुमशुदा की तलाश के लिए नवंबर में ऑपरेशन तलाश अभियान की शुरुआत उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त कार्यालय के द्वारा स्पेशल टीम बनाकर की गई है। जो थानों से अलग जिला में अपने लेवल पर काम करती है। इस स्पेशल स्क्वाड की टीम द्वारा चलाये गए इसी अभियान के तहत 120 दिनों में ऑपरेशन तलाश अभियान के तहत इस टीम ने 152 गुमशुदा को ढूंढकर उनके परिवारों तक पहुंचा चुकी है।
बच्चों के मोबाइल को लेकर सतर्क: सागर सिंह कलसी, डीसीपी नॉर्थ ने अभिभावकों को सलाह दिया है, कि यदि वह बच्चे को मोबाइल इस्तेमाल करने के लिए देते हैं तो समय.समय पर उसकी जांच जरूर करें। वह किनसे बात कर रहे हैं, जो मोबाइल बच्चे इस्तेमाल करते हैं, उसका लॉक पैटर्न उन्हें जरूर पता होना चाहिए। जिससे वह कभी भी अपने बच्चे के मोबाइल को चेक कर सकते हैं। जिस लडक़ी को जयपुर से बरामद किया गया उस मामले में जब पेरेंट्स ने पुलिस को मोबाइल दिखाया तो वह ओपन नहीं हो रहा था। क्योंकि उस पर फेस लॉक लगा हुआ था। पुलिस का कहना है कि अक्सर लड़कियों के मामले में उनके जानकार ही शामिल होते हैं।