रियासतकालीन पुलिया पर खतरे का ट्रैफिक फिर शुरू, साइडों के पिलर टूटे

Update: 2022-12-22 13:57 GMT

कोटा न्यूज़: नयापुरा स्थित चम्बल नदी पर बनी रियासतकालीन पुलिया पर खतरे का ट्रैफिक फिर से शुरू हो गया है। पुलिया की हालत जर्र्जर हो रहीे है। उसके साइडों के पिलर टूट चुके हैं और सड़क भी साइडों से टूटी होने से संकरी हो गई है। जिस पर से सुरक्षित निकलना मुश्किल हो रहा है। चम्बल की रियासतकालीन पुलिया बरसात के समय बाढ़ के पानी में बहने से हर बार क्षतिग्रस्त हो जाती है। उसे हर बार मरम्मत कर फिर से चालू कर दिया था। इस बार भी आई बाढ़ में पुलिया का अधिकतर हिस्सा पानी में बह गया। जिससे पुलिया पूरी तरह से क्षतिग्रस्त ह गई थी। बाढ़ के दौरान पुलिया को काफी समय तक बंद भी रखा गया था। लेकिन उसे एक बार फिर से ट्रैफिक के लिए चालुू तो कर दिया है। लेकिन उसकी जिह तरह की हालत है उससे वहां फिर से हादसा होने का खतरा बना हुआ है।

यह है पुलिया की हालत: रियासतकालीन पुलिया की हालत वर्तमान में किसी ग्रामीण क्षेत्र की सड़क से भी बदतर हो रही है। पुलिया की वास्तविक चौड़ाई जितनी है उससे वह आधी रह गई है। बाढ़ के पानी में पुलिया के दोनों तरफ की साइडों की अधिकतर सड़क का हिस्सा नदी में बह गया है। जिससे वहां जगह-जगह से सड़क के बीच गड्ढ़े और सड़क संकरी हो गई है। जिससे उस सड़क पर से दोनों तरफ से वाहन आने पर उनके दिन के समय से अधिक रात के समय हादसा होने का खतरा अधिक है। पुलिया के बीच का हिस्सा उतार चढ़ाव वाला हो रहा है। नयापुरा बस स्टैंड की तरफ से नदी पार कुन्हाड़ी जाना हो या कुन्हाड़ी से नयापुरा की तरफ आना हो तो वहां दोनों तरफ तो पुलिया की सड़क काफी नीचे है जबकि बीच में दो जगह से उसका हिस्सा काफी ऊंचा है। पुलिया से गुजरते समय ऐसा लगता है मानो ऊपर चढ़कर फिर से नीचे जा रहे हों।

कार हादसे के बाद लगाए पिलर भी गायब: रियासतकालीन पुुलिया पर कुछ समय ही एक कार हादसा हुआ था। जिसमें कार में सवार दूल्हा समेत करीब 9 लोग जा रहे थे। जैसे ही कार पुलिया से गुजरी तो तड़के अंधेरा होने से पुलिया पर से कार नदी में जा गिरी। जिससे उसमें सवार दूल्सीे समेत सभी 9 लोगों की मौके पर ही पानी में डूबने से मौत हो गई थी। उस घटना के बाद पुलिया के दोनों तरफ रैलिंग लगाने की मांग की गई थी। जिसके बाद प्रशासन ने यहां पुलिया के दोनों तरफ सीमेंट के पिलर बनाए थे। जिससे अचानक से वाहन आने पर नदी में नहीं गिर सके। लेकिन हालत यह है कि बाढ़ के पानी में वे अधिकतर पिलर भी बह गए। अब वहां गिनती के ही पिलर नजर आ रहे हैं लेकिन उनका कोई मतलब नहीं रह गया है। हालांकि अधिकारियों के अनुसार करीेब 4 करोड़ रुपए की लागत से पुलिया को सही करने का काम किया जाएगा।

भारी भरकम डम्पर भी गुजर रहे: इस पुलिया से शहर के सामान्य ट्रैफिक के अलावा चम्बल रिवर फ्रंट पर चल रहे काम के दौरान मिट्टी व निर्माण सामग्री लाने वाले डम्पर भी दिनभर दौड़ रहे हैं। दो पहिया वाहन से लेकर कार और बसें तक यहां से निकल रही हैं। उनके साथ ही डम्परों के तेजी से निकलने के कारण फिर से कभी भी कोई हादसा होने का खतरा बना हुआ है।

ट्रैफिक का कोई सिपाही नहीं: क्षतिग्रस्त पुलिया से दिन रात वाहनों का आवागमन होने के बाद भी वहां ट्रैफिक का कोई सिपाही तक नहीं है। जिससे अनजाने में आने वाले वाहन चालकों को यदि पुलिया के क्षतिग्रस्त होने का अंदाजा नहीं हो तो उनके साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। जबकि ट्रैफिक का सिपाही व जवान वहां हो तो लोगों को जानकाी दे सकता है।

रियासतकालीन पुलिया से आस-पास के लोग ही आ जा रहे होंगे। पुलिया पर ट्रैफिक चालू होने की जानकारी नहीं है। एस बार उसे देखने के बाद ही कुछ कहा जाएगा। यदि पुलिया अभी भी क्षतिग्रस्त है तो उसे सही करवाने के लिए अधिकारियों को लिखा जाएगा। आवश्यकता होने पर ट्रैफिक के सिपाही को भी लगाने का प्रयास किया जाएगा।

- कालूराम वर्मा, उप अधीक्षक, यातायात पुलिस 

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